रोहतास के शहीद खुर्शीद खान की अंतिम विदाई पर उमड़ी भीड़, ‘हिन्दुस्तान जिंदाबाद’ के नारों से गूंजा आसमान

जम्मू-कश्मीर के बारामूला में सोमवार को आतंकी हमले में शहीद हुए रोहतास जिले के बिक्रमगंज के घोसियां कला निवासी खुर्शीद खान का पार्थिव शरीर मंगलवार रात उनके गांव पहुंचा. पार्थिव शरीर आने की सूचना मिलते ही जवान के अंतिम दर्शन के लिए सड़कों पर नौजवानों का भीड़ उमड़ पड़ा. जिले की सीमा पर रोहतास डीएम, एसपी सहित आम लोगों ने हाथ में तिरंगा झंडा लिए शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की और ‘हिन्दुस्तान जिंदाबाद, पाकिस्तान मुर्दाबाद’, ‘वंदेमातरम्’, ‘भारत माता की जय’, ‘खुर्शीद खान अमर रहे’ के नारों से आसमान गूंज उठा.

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लोगों ने कहा कि हमें अपने जिले के लाल पर गर्व है, जिन्होंने देश की खातिर अपनी जान न्योछावर कर दी. शहीद खुर्शीद के अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए, जिन्होंने नम आंखों से शहीद जवान की अंतिम विदाई की.

बता दें कि शहीद खुर्शीद खान का उनके पैतृक गांव घोसियां कला में अंतिम विदाई के बाद सुपुर्द ए खाक किया गया. सुपुर्द ए खाक करने से पहले उन्हें गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इस दौरान जिले के डीएम, एसपी, सीआरपीएफ के आईजी मौजूद थे.

डीएम पंकज दीक्षित ने बताया कि शहीद के परिवार को बिहार सरकार के अनुग्रह अनुदान से 11 लाख रुपए की चेक दी गई है. इसके अलावा शहीद के परिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष से ₹ 25 लाख की राशि दी जाएगी. साथ ही सरकार की तरफ से परिवार के एक आश्रित को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी. स्थानीय विधायक संजय यादव ने शहीद के परिजनों को केंद्र और राज्य सरकार से हर संभव मदद दिलाने की बात कही.

बता दें कि दो दिन पूर्व कश्मीर के बारामुला सेक्टर में आतंकी हमले में रोहतास जिले के बिक्रमगंज स्थित घुसियकलां निवासी सीआरपीएफ जवान खुर्शीद खान और जहानाबाद जिले के रतनी प्रखंड के अईरा गांव निवासी लवकुश शर्मा शहीद हो गये हैं. खुर्शीद 19 जून को ही गांव पर तीन महीना गुजारने के बाद ही गये थे. लॉकडाउन होने के कारण वे तीन माह तक रुक गए थे. इसी बीच उन्हें सूचना मिली कि उन्हें जम्मू-कश्मीर जाना है.

19 जून को जब वे घर से जा रहे थे, तो बेटियों से कहा कि खूब मन लगाकर पढ़ना. शहीद खुर्शीद की तीन बेटियां हैं. बड़ी बेटी 13 वर्षीया जाहिदा खुर्शीद कक्षा सात, दूसरी बेटी दस वर्षी जूबैदा कक्षा चार और तीसरी बेटी पांच वर्षीया अफ्सा खातून वर्ग दो में डीएवी बिक्रमगंज में पढ़ती है. शहीद के छोटे भाई मुर्शीद कहते हैं कि खुर्शीद अपनी बेटियों के बेहतर लालन पोषण के साथ ही अच्छी शिक्षा देना चाहते थे. वे अपने बेटियों को डॉक्टर, इंजीनियर और बड़े अधिकारी बनाना चाहते थे. वहीं शहीद की पत्नी, मां, भाई, बहन और बेटियों का रो रोकर बुराहाल है. रिश्तेदारों के आने से स्वजन उनसे लिपट कर चीत्कार कर उठते हैं.

रिपोर्ट- जयराम

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