कैमूर पहाड़ी क्षेत्र के इस गांव में बूंद-बूंद पानी के लिए व्याकुल हैं ग्रामीण, नदी के गंदे पानी को पीकर बुझा रहे हैं प्यास

मुकेश पाठक- रोहतास प्रखण्ड अन्तर्गत रोहतास गढ़ पंचायत के वार्ड नम्बर आठ सतगलिया टोला में रहने वाले ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे है. प्यास बुझाने के लिए ग्रामीणों को शुद्ध पानी नही मिल रहा है. इस गांव में न एक चापाकल है और ना ही कुआं. ऐसी स्थिति में ग्रामीण अवसानी नदी में चुआडी खोद कर पानी लाते है फिर नदी में पहले से जमा गंदा पानी जहाँ पशु पानी पीते है वहाँ से पानी लाकर अपनी प्यास बुझाते है. लेकिन स्थानीय प्रशासन या जिला प्रशासन और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि इससे पूरी तरह अनजान है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को भी खोज खबर नही है. कैमूर पहाड़ी क्षेत्र को जंगलों के रूप में जाना जाता है लेकिन जंगली क्षेत्र में पीने का पानी का भयानक संकट उत्पन्न हो गया है.

गिरते भूमिगत जल स्तर ने स्थिति को और भयावह बना दिया है. कैमूर पहाड़ी क्षेत्र के रोहतास एवं नौहट्टा प्रखण्ड के प्रायः हर गांवो में इन दिनों भयानक जल संकट की ओर तेजी से बढ़ रहा है. अगर अभी इस संकट से उबरने के उपाय नहीं किए गए तो आने वाले 10 वर्षों में पहाड़ी क्षेत्र के गांव के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसेंगे. यह संकट केवल आबादी के कारण नहीं हुआ है बल्कि पानी का दुरुपयोग और भूमिगत जल का अंधाधुंध दोहन इसके लिए जिम्मेवार है. इस इलाके में भूमिगत जल स्तर पहले से काफी नीचे जा चुका है. इसका मुख्य वजह डीप बोरिंग है जिसको जहाँ इच्छा करता है, 150 फिट से लेकर 500 फिट तक खेतो के पटवन के लिए डीप बोरिंग करा देता है. इस पर जिला प्रशासन या राज्य सरकार का न तो कोई रोक है और ना ही कोई नियम कायदा-कानून बनाया गया है. जिसका परिणाम अभी से ही सामने दिखाई देने लगा है.

चुआडी से पानी निकालती महिलाएं

यदि इस क्षेत्र में शीध्र जल संरक्षण के उपाय नहीं किए गए तो यह और नीचे चला जाएगा. इस क्षेत्र का भूगर्भीय जल स्तर 40 से 50 फीट नीचे चला गया है. हाल के वर्षों में कैमूर पहाड़ी के जंगलों एवं गांवों में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है. बदलती जलवायु के चलते वर्षा अनियमित हो गया है. जिसका असर भूमिगत जल स्तर पर तेजी से पड़ने लगा है. यही नहीं पहाड़ी क्षेत्र में पर्याप्त वर्षा होने के बाद भी पहाड़ी क्षेत्र के 90% वर्षा का पानी पहाड़ी नदियों से बहकर सोन नदी में चला जाता है, लेकिन वर्षा के पानी को रोकने के लिए अब तक राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा कोई कारगर उपाय नहीं किया गया है. जानकार बताते हैं कि, अब भी देर नहीं हुई है. प्राकृतिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित कर भविष्य के संकट को टाला जा सकता है पानी की बर्बादी रोकने के लिए कड़े प्रावधान करने होंगे साथ हीजल संरक्षण के उपायों पर भी गंभीरता से विचार करना होगा.

आपको बता दें कि रोहतास जनसेवा समिति के सज्जाद खान, मुकेश पाठक, विशाल देव, विनय कुमार, सोनू कश्यप आदि सदस्यों ने आज रोहतास के प्रखण्ड विकास पदाधिकारी अनिल कुमार से मिल कर सतगलिया एवं अन्य पहाड़ी गाँवो में उतपन्न पेयजल संकट की समस्या से अवगत कराया एवं यथाशीध्र पेयजल संकट दूर कराने का मांग किया. प्रखण्ड विकास पदाधिकारी ने इस प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों से कहा कि मुख्यमंत्री नल जल योजना के तहत सतगलिया गांव के लोगो को पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा.

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