रोहतासगढ़ किला व मां मुंडेश्वरी धाम में रोपवे निर्माण का रास्ता साफ, बीआरपीएनएन करेगा रोपवे का निर्माण

कैमूर पहाड़ी पर स्थित रोहतासगढ़ किला व मुंडेश्वरी धाम में रोप वे का निर्माण बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा किया जाएगा. इसे लेकर पर्यटन विभाग द्वारा स्वीकृति मिल गई है. पहले इस रोप वे का निर्माण भारत सरकार के उपक्रम राइट्स द्वारा कराया जाना था. लेकिन उनके द्वारा कार्य में रूचि नहीं लिए जाने की स्थिति में अब रोहतास जिला अंतर्गत रोहतासगढ़ किला व कैमूर जिला अंतर्गत मां मुंडेश्वरी धाम में रोपवे का निर्माण बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा कराया जाएगा. 1265-15 लाख रूपये की लागत से रोहतासगढ़ किला व 735-42 लाख रूपये की लागत से मां मुंडेश्वरी धाम तक पहुंचने के लिए रोपवे का निर्माण होगा.

मालूम हो कि रोहतासगढ़ किला तक पहुंचने के लिए अभी कोई सड़क मार्ग नहीं है. जहां रोपवे के निर्माण की मांग स्थानीय स्तर पर बहुत पहले से हो रही थी. बता दें कि अब रोप वे निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. वहीं जानकारी के अनुसार मां मुंडेश्वरी धाम में रोपवे निर्माण के लिए पूर्व में 0.53 हेक्टेयर वन भूमि पर सहमति बनी थी. लेकिन निर्माण के क्रम में 1.309 हेक्टेयर भूमि की जरूरत पड़ी. जिस पर वन विभाग ने आपत्ति जता दी थी. हालांकि पर्यटन विभाग की ओर से बाद में फिर से नया प्रस्ताव भेजा गया. तब जाकर विभागीय सहमति बनी. इससे रोपवे निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. अब यह निर्माण वन क्षेत्र की भूमि 1.309 हेक्टेयर पर ही होगी. इसके बदले में वन विभाग को भी इतनी ही जमीन उपलब्ध कराई गई है.

बीआरपीएनएन द्वारा निकाली गया टेंडर

रोपवे के निर्माण होने से स्थानीय लोगों को जहां रोजगार सृजन का मौका मिलेगा. वहीं पर्यटन उद्योग को भी काफी बढ़ावा मिलेगा. बेहतरीन शैली में बनी रोहतास किला को देखने दूरदराज के लोग आते हैं. लेकिन किला तक पहुंचने का सुगम रास्ता नहीं होने से कई पर्यटक चाहकर भी किला तक नहीं पहुंच पाते हैं.

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बता दें कि रोहतासगढ़ किला पर रोपवे व सड़क निर्माण की कवायद एक दशक से चल रही है. 2008 में तत्कालीन एसपी विकास वैभव ने कैमूर पहाड़ी पर नक्सल उन्मूलन के लिए सरकार को रोहतास से अधौरा तक सड़क निर्माण कराने व रोपवे निर्माण कर पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रस्ताव भेजा था. तत्कालीन एसपी की सोच थी कि पर्यटन के विकास से क्षेत्र में नक्सलवाद, बेरोजगारी व श्रम शक्ति का पलायन रुक सकता है. 14-15 जून 2010 को उन्होंने डालमियानगर के बंगाली क्लब में रोहतासगढ़ किला के आसपास के गांवों के 80 युवकों को टूरिस्ट गाइड का प्रशिक्षण दिया था. उन्हें साइकिल व टॉर्च भी उपलब्ध कराए गए थे. आज भी वे युवक वहां जाने वाले पर्यटकों का सहयोग करते हैं. लेकिन विकास वैभव के यहाँ से जाने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया.

जिले में स्थित जपला सीमेंट फैक्ट्री का रोपवे, जो अब बंद है

मालूम हो कि रोहतास जिले का रोहतास और नौहट्टा प्रखंड का इलाका रोपवे से आजादी के पहले से ही परिचित है. जब जपला सीमेंट कारखाना का आगाज हुआ था. वहां कच्चा माल नौहट्टा प्रखंड के बौलिया क्वायरी से जाता था. इस माल ढुलाई का रोपवे ही इकलौता साधन था. इलाके के लोगों को यह आज भी स्मरण में है कि कैसे रोपवे काम करता है. इससे सिर्फ सीमेंट के लिए चुना पत्थर ही नहीं बल्कि मजदूरों के लिए पैसे भी आदमी लेकर इसी रोपवे से आता जाता था. वह कंपनी का ही कर्मी हुआ करता था. आज इलाके में इसे झुला या झुलन कहा जाता है.

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