मिसाल: गुरुपर्व पर सासाराम गुरुद्वारा में मुस्लिम समुदाय के जत्था ने भी अरदास किया

सासाराम स्थित चाचा फागूमल गुरुद्वारा

सासाराम के ऐतिहासिक गुरुद्वारा चाचा फग्गुमल साहिब जी में कल सिखों के प्रथम गुरुपिता गुरुनानक देव जी का प्रकाशपर्व बढ़ी धूमधाम से मनाया गया। साथ ही चाचा फग्गुमल साहिब जी गुरुद्वारा के बगल में स्थित शाहजलाल पीर साहिब द्वारा मुस्लिम समुदाय के लोगों के जत्था ने भी गुरुपिता का अरदास कर याद किया। इस कार्यक्रम में दूर से आये हुए संत-महात्मा, कथावाचक, रागी का भी जत्था शामिल थे।

 

 

गौरतलब है कि एकता के मिसाल के रूप में एक सिख और मुस्लिम जिगरी दोस्त की ये सच्ची कहानी प्रचलित है कि “नवम गुरु तेग बहादुर जी महाराज का परिवार, संगत के साथ 1666ई में सासाराम चाचा फग्गुमल साहिब जी के पास आगमन हुआ एवं सतगुरु के प्रवास के दौरान चाचा फग्गुमल साहिब जी ने अपने जिगरी दोस्त हजरत शाहजलाल पीर साहिब जी को सतगुरु से मिलाया। पीर साहिब गुरु जी से मिल देख कर रोम-रोम से शुकराना किया गुरु तेग बहादर जी महाराज के सासाराम से जाने के कुछ ही दिनों के बाद चाचा फग्गुमल साहिब जी सचखंडवासी (स्वर्गवास) हो गयें। शवयात्रा में काफी भीड़ थी। पीर साहिब चाचा फग्गुमल साहिब के स्वर्गवास के समय सासाराम में नहीं थे। शव यात्रा के समय ही सासाराम आये। बड़ी भारी भीड़ को जाते देख कौतुहल वश पुछ बैठे भाई इतनी बड़ी शव यात्रा किसकी है? लोगों ने बताया कि चाचा फग्गुमल जी की शव यात्रा है। पीर साहिब मंजिल के पास जा करके चाचा फग्गुमल साहिब जी के शरीर का दर्शन करते हुए कहा यार ये दोस्ती कैसी आप चल दिए और हमे कहा तक नहीं खैर चलो हम भी आ रहे है। शव यात्रा से वापस लौट स्नान वजु कर नमाज अदा की और हमेशा के लिए लेट गए। एक तरफ जहाँ गुरु के बाग के पास चाचा फग्गुमल साहिब जी की संस्कार हो रही थी वही दूसरे तरफ हजरत शाहजलाल पीर साहिब जी की सुपुर्दे-खाक की रस्म अदा की जा रही थी।”

 

सहयोग- सरदार परमजीत सिंह

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