रोहतास जिले में बाहर से आए हार्वेस्टर चालक व सह चालकों को क्वारंटाइन में भेजे जाने के बाद लॉकडाउन से प्रभावित हो रही गेहूं की कटनी को देखते हुए जिला प्रशासन ने ठोस व प्रभावी कदम उठाया है. अब जिले में उपलब्ध 267 हार्वेस्टरों से गेहूं की कटनी कराई जाएगी. इसके लिए प्रशिक्षित चालक व सह चालक भी जिले के ही लोग होंगे. जिला प्रशासन ने उनकी सूची बना पंचायतों में भेजने का निर्देश जिला कृषि पदाधिकारी को दिया है.
सभी पंचायत मुख्यालयों पर इन चालकों व सह चालकों का नंबर भी प्रदर्शित किया जाएगा. फिलहाल 267 प्रशिक्षित चालकों को लॉकडाउन में हार्वेस्टर चलाने की अनुमति प्रदान कर दी गई है. धान व गेहूं का ज्यादा उत्पादन करने वाले जिलों में से एक रोहतास जिले में गेहूं की कटनी पहले पंजाब व हरियाणा के चालकों द्वारा की जाती थी. इस वर्ष भी बाहर से आने वाले 307 चालकों का पास भी जिला प्रशासन द्वारा निर्गत किया गया था. इसमें कई चालक द्वारा कटनी का कार्य भी शुरू कर दिया गया था. गुरुवार को सरकार द्वारा बाहर से आए चालकों को क्वारंटाइन कर उन्हें वापस भेजने के निर्देश के बाद जिला प्रशासन ने किसानों की बढ़ी समस्या को निजात दिलाने के लिए यह कदम उठाया है.
बता दें कि जिले में जिस दूसरे शहरों से हार्वेस्टर चालक आए थे उन्हें गेहूं की कटनी कार्य से फिलहाल अलग रखते हुए उनकी जांच व 14 दिन का क्वारंटाइन किया जा रहा है. सरकार के इस निर्णय के बाद जिला प्रशासन व किसानों की परेशानी बढ़ गई थी. जबकि फसल कटनी कार्य को ले जिला प्रशासन ने 306 हार्वेस्टर व ट्रैक्टर चालकों को पास भी निर्गत कर चुका था. जिले के प्रशिक्षित चालकों से गेहूं की कटनी कराने के निर्णय से किसानों को थोड़ी राहत मिली है. बताया जाता है कि जिले में जो भी हार्वेस्टर हैं वे रोटावेटर युक्त हैं. इससे गेहूं के डंठल की भूसी भी बनेगी, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ के साथ पशुओं के लिए चारा की समस्या भी दूर होगी. वहीं गेहूं का डंठल जलाने से भी किसान बचेंगे.
रोहतास जिलाधिकारी पंकज दीक्षित के मुताबिक सरकार से मिले निर्देश के बाद बाहर से आए हार्वेस्टर चालकों को क्वारंटाइन करने के बाद गेहूं की कटनी कार्य प्रभावित न हो, इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने जिले से जुड़े प्रशिक्षित चालकों को इस कार्य में लगाने का निर्णय लिया है. जिले में फिलहाल 267 हार्वेस्टर के साथ प्रशिक्षित चालक व सह चालक हैं. जिन्हें पंचायतों में भेज उन्हें हार्वेंस्टर चलाने की अनुमति दी गई है. हार्वेस्टर भी रोटावेटर युक्त है, जिससे फसल अवशेष को खेतों में जलाने की आवश्यकता नहीं होगी. जिससे पर्यावरण को भी फायदा पहुंचेगा.