सदर अस्पताल सासाराम भर्ती मरीज की सोमवार को मौत हो गई. इसके बाद मृतक के परिजनों ने जमकर हंगामा किया. इसे लेकर ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर व कर्मी भाग निकले. लेकिन, जान बचाकर भाग रहे चिकित्सक केडी पूजन को लोगों ने पकड़ लिया. डॉक्टर को गाली देते हुए लोगों ने पिटाई भी की. डॉक्टरों, एएनएम एवं नर्स के साथ गाली-गलौज एवं दुर्व्यवहार किया गया. गुस्साए परिजनों ने वार्ड में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को छत से नीचे फेंक दिया. सूचना मिलते ही सदर एएसपी अरविंद प्रताप सिंह, एएसडीएम रिजवान फिरदौस, नगर थानाध्यक्ष कामाख्या नारायण, प्रभारी सिविल सर्जन डॉ केएन तिवारी अस्पताल पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित किया. मामले की जांच के बाद पुलिस ने घटना को लेकर दो लोगों को हिरासत में लिया है.
डॉ. अनवर अशरफ ने बताया कि हंगामा कर रहे लोगों द्वारा लाया गया व्यक्ति अस्पताल पहुंचने से पहले ही मर चुका था. जब हमलोगों ने कहा कि उनका मरीज जीवित नहीं है, तो वे लोग भड़क गए. इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे. आइसोलेशन सेंटर में चिकित्सकों के साथ मारपीट और हंगामा की घटना पर विरोध जताते हुए चिकित्सकों ने सदर अस्पताल का ओपीडी का कार्य बहिष्कार कर दिया. ओपीडी में चिकित्सकों के इलाज नहीं करने से मरीजों को सरकारी अस्पताल से बिना इलाज कराए बैरंग वापस लौटना पड़ा. डेडिकेटेड कोविड केयर हेल्थ सेंटर में भर्ती मरीज के परिजनों को अब पास के आधार पर इंट्री मिलेगी. चिकित्सकों के साथ हो रही मारपीट और सेंटर में हंगामा की घटना को देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से पुलिस प्रशासन इस व्यवस्था में जुट गई है.
बताया जाता है कि सासाराम के गौरक्षणी मोहल्ला निवासी अनंत कुमार अपने पिता कामेश्वर चौधरी को इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर आए. उन्हें सुबह से ही सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. मृतक के स्वजनों ने आरोप लगाया कि यहां पहुंचने के बाद किसी भी डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ ने इलाज के लिए कोई सकारात्मक पहल नहीं की. इसकी वजह से अस्पताल में ऑक्सीजन उपलब्ध होते हुए भी मरीज की मौत हो गई. आरोप था कि अस्पताल में सारी सुविधाएं मौजूद होने के बावजूद भी डॉक्टरों की लापरवाही से उनके मरीज का समय पर इलाज नहीं हो सका इस कारण उनकी मौत हो गई. मरीज की मौत के बाद उग्र लोगों ने अस्पताल में जमकर तोड़फोड़ की व हंगामा किया.
मौके पर पहुंची पुलिस अधिकारियों के समक्ष डॉक्टरों ने अस्पताल परिसर में सुरक्षाकर्मियों की संख्या एकदम कम होने की बात कही. कहा कि जो हैं भी वे लापरवाह हैं. तथा जो कुछ हैं भी है तो उनके लापरवाह रवैया के कारण भी आए दिन हंगामा हो रहा है. डॉक्टरों और नर्सों ने अधिकारियों से कहा कि हंगामे के दौरान पुलिस अधिकारी मौजूद तो थे लेकिन हंगामे के दौरान मूक दर्शक बने रहे. पुलिसकर्मियों के इस रवैये से हंगामा करने वालों का मनोबल बढ़ता गया और वह मारपीट पर उतारू हो गए. एएसएसपी अरविंद प्रताप सिंह ने वहां पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को बदलकर दूसरे पुलिसकर्मियों की तैनाती का आदेश नगर थानाध्यक्ष को दिया.