बिहार बोर्ड ने मंगलवार को मैट्रिक का परिणाम जारी कर दिया है. हिमांशु राज ने 96.2 फीसदी अंक के साथ परीक्षा में टॉप किया है. हिमांशु राज ने कहा कि 96.2 फीसदी अंक से वह खुश और संतुष्ट हैं. उन्हें इतने अंक की उम्मीद थी. बता दें कि हिमांशु राज रोहतास जिले के नटवार कला गांव के रहने वाले हैं. वह रोहतास जिले के जनता हाई स्कूल तेनुअज के विद्यार्थी हैं. उनके पिता सुभाष सिंह ने कहा कि मुझे अपने बेटे पर गर्व है.
बिहार बोर्ड के अधिकारियों ने 19 मई को का फोन और विडियो कॉल के माध्यम से हिमांशु का इंटरव्यू लिया था. हिमांशु ने बताया कि मुझसे हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा में कई सवाल पूछे गए थे. मुझसे गणित, साइंस और अंग्रेजी से जुड़े सवाल पूछे गए, साइन थीटा से संबंधित सवाल थे. मेरा इंग्लिश में परिचय भी पूछा गया.
बिहार टॉपर हिमांशु के पिता सुभाष सिंह छोटे बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाते है. साथ ही बटाई पर खेत लेकर सब्जियां उपजाते हैं. सब्जियां बेचकर जो पैसे मिलते हैं, उससे परिवार को दो जून की रोटी मिलती है. उनकी मां मंजू सिंह गृहणी हैं. हिमांशु ने कहा कि मुझे इस बात का अंदाजा था कि मैं टॉप-10 की लिस्ट में आ सकता हूं. जिस तरह की मैंने तैयारी की थी और मैंने एग्जाम दिया था, उससे मुझे अंदाजा था कि 93% से ज्यादा अंक मुझे मिलेंगे.
हिमांशु ने बताया कि मैं हर दिन स्कूल से आने के बाद करीब 6 से 7 घंटे सेल्फ स्टडी करता था. मैं सुबह 10 बजे स्कूल जाता था और 3 बजे स्कूल से आने के बाद खाना खाता और थोड़ा खेलता था और उसके बाद फिर पढ़ाई में लग जाता था. हिमांशु ने बताया कि कभी ट्यूशन पढ़ने नहीं गया. स्कूल से आने के बाद अपने पापा के साथ बैठकर पढ़ता था, वो मुझे पढ़ाते थे.
हिमांशु रोहतास में रहकर ही आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं. वह इंटर में साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई करेंगे. उन्होंने कहा कि वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहते हैं. इसलिए वह साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई करेंगे. हिमांशु ने कहा कि सफलता के लिए धैर्य और लगन के साथ पढ़ाई करना अनिवार्य है. उन्होंने बस यही किया. उन्हें जब भी किसी सबजेक्ट में कंफ्यूजन हुआ उन्होंने अपने शिक्षकों से उसे तुरंत क्लीयर कर लिया. सफल होने के लिए मेहनत के साथ बेहतर रणनीति की भी आवश्यकता है.
हिमांशु के पिता सुभाष सिंह बताते हैं- खुद मैट्रिक तक पढ़े लिखे हैं, पर गांव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ा लेते हैं. खेती-बाड़ी और ट्यूशन से बचे समय में प्रियांजलि और हिमांशु को बैठाकर पढ़ाते हैं. हिमांशु की सफलता के पीछे की दूसरी किरदार हैं बहन प्रियांजलि. प्रियांजलि बारहवीं में पढ़ती हैं. मैट्रिक में इनके 88 परसेंट नंबर थे.