बिहार में भी ब्लैक फंगस महामारी घोषित, कोरोना मरीजों की तरह रखा जाएगा रिकॉर्ड, मिलेंगी सरकारी सुविधाएं

प्रतीकात्मक तस्वीर

देश के कई राज्यों की तरह अब बिहार ने भी तेजी से बढ़ रहे ब्लैक फंगस की बीमारी को महामारी घोषित कर दिया है. बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए ब्लैक फंगस को आपदा की श्रेणी में रखा है. ब्लैक फंगस के मरीजों के बेहतर इलाज के लिए राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है. ब्लैक फंगस को एपिडमिक डिजीज एक्ट, 1897 की धारा -2 के तहत महामारी घोषित किया गया है. स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया जो एक वर्ष तक के लिए प्रभावी होगा.

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि ब्लैक फंगस महामारी घोषित होने के साथ ही विभाग ने कई नियमों को आवश्यक बना दिया है. इस एक्ट के तहत सभी निजी एवं सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा म्यूकोरमायकोसिस के सभी संदिग्ध एवं प्रमाणित मरीजों के मामले को सिविल सर्जन के माध्यम ये एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम, स्वास्थ्य विभाग को प्रतिवेदित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस के मरीजों को अस्पतालों में वे तमाम सुविधाएं दी जाएंगी जो कोविड मरीजों को मिल रही हैैं. कई दवाएं और इंजेक्शन भी मुफ्त होंगे. हालांकि ब्लैक फंगस से मृत्यु होने पर अभी मुआवजे का प्रावधान नहीं किया गया है. यदि आइसीएमआर किसी प्रकार के नए आदेश जारी करता है तो उसे इलाज के प्रोटोकॉल में शामिल किया जाएगा. अभी आईजीआईएमएस एवं एम्स, पटना के साथ-साथ कई सरकारी एवं निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस की दवा उपलब्ध कराई गई है.

सरकार के निर्देश के मुताबिक, सभी अस्पतालों को ब्लैक फंगस के मरीजी के इलाज के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार के गाइलाइन को फॉलो करना होगा. मरीजों के इलाज के लिए RMRI में दवाई का भंडारण किया गया है. स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख इसके संबंध में समय-समय पर जांच, इलाज एवं प्रबंधन को लेकर आदेश जारी कर सकेंगे. अस्पतालों को मरीजों का डाटा बेस बनाना होगा. सरकार ने अपने आदेश में साफ किया है कि आदेश जारी होने के बाद यदि कोई अस्पताल या स्वास्थ्य संस्थान नियमों का उल्लंघन करता है तो एपिडमिक डिजीज एक्ट की धारा-3 के तहत यह दंडनीय होगा. इन आदेशों के क्रियान्वयन में सद्भाव में किए गए किसी कार्य के विरूद्ध धारा-4 के प्रविधानों के अनुरूप कोई वाद या विधिक कार्रवाई नहीं की जा सकेगी.

बता दें कि सूबे में शुक्रवार को ब्लैक फंगस के 39 नए मामले सामने आए थे, जिनमें से आठ मरीजों को भर्ती करना पड़ा था. कुल 39 मामलों में से 32 मरीज पटना के तीन अस्पतालों और सात मरीज छपरा के एक निजी अस्पताल में भर्ती किए गए. इसी तरह पूरे राज्य में ब्लैक फंगस संक्रमण के लक्षण वाले 174 मरीज हो गए हैं. विदित हो कि बिहार के अलावे हरियाणा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार भी ब्लैक फंग को महामारी घोषित कर चुकी हैं. 

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