शाहाबाद की बेटी शिखा करेगी गणतंत्र दिवस परेड का नेतृत्व, सेना की पहली महिला डेयरडेविल कैप्टन है शिखा

जब एक महिला कमांड कर रही हो और बाकी लोग उसे फॉलो कर रहे हों तो अच्छा लगता है. बाइक चलाती लड़कियां तो बहुत देखी पर बाइक में कलाबाजी करती लड़की दिखे तो और अच्छा लगता है. सैटेलाइट के जरिये सेना को मजबूत बनाने का संकल्प लेते अगर कोई लड़की दिखे तो अच्छा लगता है. उनके मजबूत इरादों को देखकर अच्छा लगता है. सवाल हो सकता है कि आखिर अच्छा लगने की वजह क्या है.. जी हां, इस अच्छा लगने का अहसास शहर से लेकर गांव तक की हर लड़की को साहस के कारनामों के लिए उकसाता है. इन्हीं जांबाज योद्धाओं में से एक शाहाबाद की बेटी शिखा सुरभि हैं, जो इस बार गणतंत्र दिवस परेड में सैन्य बलों का नेतृत्व कर बिहार का नाम रोशन करने जा रही हैं.

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शाहाबाद प्रक्षेत्र के बक्सर जिले के सिमरी प्रखंड अंतर्गत छोटका राजपुर गांव निवासी शैलेंद्र सिंह की 28 वर्षीय बेटी कैप्टन शिखा भारतीय सेना की टुकड़ी कोर ऑफ सिग्नल डेयर डेविल्स का नेतृत्व करेगी. कप्तान शिखा सुरभि अपनी टीम के पुरुष सहयोगियों के साथ बाइक पर हैरतअंगेज करतब दिखाते हुए राष्ट्रपति को सलामी देगी. इसको लेकर शिखा दिल्ली में परेड का लगभग सात घंटों तक अभ्यास कर रही हैं.

आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत के साथ कैप्टन शिखा सुरभि

भारतीय सेना सिग्नल कोर डिवीजन में कार्यरत कैप्टन शिखा अभी पंजाब के भटिंडा में पोस्टेड हैं.
पहली बार राष्ट्रीय परेड में डेयर डेविल्स टुकड़ी का नेतृत्व करने का गौरव प्राप्त हुआ है. कैप्टन शिखा की इस उपलब्धि को लेकर पूरा शाहाबाद व उनका गांव गौरवान्वित है. सभी बेसब्री से गणतंत्र दिवस परेड का इंतजार कर रहे हैं.

साहसी कार्यों व खेलकूद में थी रुचि: कैप्टन शिखा सुरभि को साहसिक कार्य व खेलकूद से काफी गहरा लगाव है. उन्होंने इसके लिए मार्शल आर्ट, कराटे, बॉक्सिंग, पर्वतारोहण व बाइक राइडिंग में भी अपनी पहचान बनाई. सेना अधिकारी के पद पर रहते हुए शिखा ने महिला बॉक्सिंग में ऑल इंडिया प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक विजेता रही है. सेना की ओर से दो बार पर्वतारोहण व एडवेंचर स्पोर्ट का प्रशिक्षण प्राप्त की. कैप्टन शिखा मार्शल आर्ट में ब्लॅक बेल्ट हासिल की है.

अभ्यास के दौरान कैप्टन शिखा

यूइएस इंट्री से आर्मी में गईं शिखा : कैप्टन शिखा ने जयपुर इंजीनियरिंग एण्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक किया और उसमें अच्छे नंबर के आधार पर यूनिवर्सिटी इंट्री स्कीम के तहत आर्मी के कठिन एसएसबी साक्षात्कार के लिए चुनी गईं. एसएसबी साक्षात्कार में सफल होने के बाद 2013 में वह आर्मी ऑफिसर बनीं और कुछ ही दिनों बाद अपनी क्षमता से सिग्नल कोर के डेयर-डेविल्स टीम का हिस्सा बन गई. आर्मी में आने के बाद 2014 में भी वह गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बन चुकी हैं. तीन भाई बहनों में कैप्टन शिखा सबसे बड़ी हैं. छोटा भाई एमबीए करने के बाद मुंबई में फैशन के क्षेत्र में अपना कॅरियर बना रहा है और एक छोटी बहन हजारीबाग से प्लस टू कर रही है.

अभ्यास के दौरान कैप्टन शिखा

बता दें कि बीस वर्षो से इनके पिता डुमरांव स्थित प्रोफेसर कॉलोनी में मकान बनाकर रहते आ रहे हैं. माता किरण सिंह हजारीबाग के इंदिरा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में शिक्षिका है. कैप्टन बिटियां डुमरांव स्थित अपने आवास पर जब भी कभी आती हैं तो बालिकाओं को भविष्य में सर्वोच्च पद पाने के लिए प्रेरित करती रहती हैं. इंदिरा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय हजारीबाग के क्वार्टर में रहती है.

कैप्टन शिखा

उनके पिता बताते हैं कि शिखा को उसके कर्नल मामा ने आर्मी में जाने के लिए प्रेरित किया. ननिहाल में कई लोग आर्मी में उच्च पदों पर हैं. वहीं, कैप्टन शिखा गणतंत्र दिवस परेड को लेकर बेहद उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि सेना के कोर ऑफ सिग्नल में पहली महिला के रूप में राष्ट्रीय परेड में बाइक पर खड़े होकर ढाई किलोमीटर तक चलते हुए सलामी देना मेरे लिए गर्व की बात होगी.

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