जिले में धूम-धाम से मना गणतंत्र दिवस, रोहतास किला पर शान से लहराया तिरंगा

रोहतास किला पर लहराता तिरंगा

जिले में 69 वां गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया गया. विद्यालयों में देश की एकता, अखंडता, देशभक्ति, सामाजिक समरसता, सांप्रदायिक सौहार्द से ओतप्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए. सासाराम के न्यू स्टेडियम में जिले का मुख्य समारोह आयोजित हुआ. जहां जिलाधिकारी अमिनष कुमार परासर ने परेड की सलामी ली और राष्ट्रीय ध्वज फहराया. मौके पर, एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों, डीडीसी उदिता सिंह सहित जिले के तमाम अधिकारी, राजनीतिक नेता-कार्यकर्त्ता और गणमान्य लोग मौजूद थे. इस मौके पर चयनित व्यक्तित्व वाले लोगों को सम्मानित भी किया गया. जिला न्यायालय परिसर में जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रभुनाथ सिंह ने न्यायपालिका की ओर से राष्ट्रीय ध्वज फहराया. डेहरी में अपने कार्यालय में शाहाबाद डीआईजी कुमार एकले, जिला पुलिस मुख्यालय में एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया. पुलिस मुख्यालय में परेड आकर्षण का केंद्र रहा.

फोटो क्रेडिट- मुकेश, रवि कुमार

वही रोहतासगढ़ किला पर आन-बान-शान से तिरंगा लहराया. किले पर सीआरपीएफ के मोहन सिंह ने अपने टीम के साथ झंडात्तोलन किया. ज्ञात हो कि, आजादी के बाद पहली बार 26 जनवरी 2009 को रोहतास किला पर तिरंगा फहराया गया था. वनवासियों के सहयोग से रोहतास के तत्कालीन एसपी विकास वैभव के नेतृत्व में डेहरी के तत्कालीन अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मिथलेश कुमार और सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट ने किला पर तिरंगा फहराया था. झंडात्तोलन के दौरान किला पर गाँव के लगभग 500 लोग शामिल हुए थे.

26 जनवरी 2009 जब आजादी के बाद रोहतास किला पर पहली बार तिरंगा लहराया गया था

इस किले को नक्सलियों का गढ़ माना जाता था और ऐतिहासिक मौकों पर नक्सली ही वहां अपना झंडा फहराते थे. आजादी के बाद नक्सलियों को छोड़ किसी ने इस ऐतिहासिक किले का रूख नहीं किया था. वर्ष 1857 में अंग्रजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन के दौरान वीर कुंवर सिंह के भाई अमर सिंह करीब 1600 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस किले तक आए और फिर वहां विद्रोहियों का कब्जा रहा. बाद में ब्रिटिश फौज ने विद्रोहियों के कब्जे से किले को मुक्त कराया और वहां ब्रिटिश हुकूमत का झंडा भी फहराया. ब्रिटिश फौज के किला छोड़ने के बाद किसी ने उसका रूख नहीं किया. 70 के दशक में नक्सली आंदोलन के दौरान यह किला उनका गढ़ बन गया और फिर किसी ने वहां तक पहुंचकर तिरंगा फहराने की हिम्मत नहीं जुटायी थी. 2008-09 में तत्कालीन एसपी विकास वैभव के नेतृत्व में कैमूर पहाड़ी पर नक्सलियों के खिलाफ अभियान के बाद 2009 में पहली बार किला पर तिरंगा फहराया गया था.

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