शनिवार को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ लोकआस्था का महापर्व चैती छठ के तीसरे दिन यानी सेामवार को व्रतियों ने लॉकडाउन एवं सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर विश्व कल्याण की कामना की. मंगलवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य के साथ ही चैती छठ महापर्व संपन्न हो जाएगा.
लोकआस्था व सूर्योपासना का महापर्व छठ पूजा को लेकर इस बार व्रतियों ने नदी व तालाबों पर जाने के बजाय छतों व आंगन में ही घाट बनाकर भगवान भास्कर की उपासना की. ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य की अराधना करने से शारीरिक रोग दूर होते हैं. इनकी उपासना से पूरी संसार को उर्जा प्राप्त होता है.
आपको बता दें कि खरना के बाद अगले दिन प्रसाद बनाए जाता है. प्रसाद में ठेकुआ, चावल का बना कचवनिया, केला, नारियल, गन्ना प्रमुख है. छठ का प्रसाद बनाते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है. ठेकुआ और चावल के कचवनिया के लिए गेंहू और चावल को काफी नियम-निष्ठा से धोकर पिसवाया जाता है. अनाज सुखाते वक्त काफी ध्यान रखना पड़ता है कि कोई पक्षी इसे जूठा ना कर दे या फिर किसी के पांव इसपर नहीं पड़े. ये प्रसाद घर में ही बनते हैं. आपको बता दें कि छठ का पर्व साल में दो बार चैत और कार्तिक महीने में किया जाता है.