बक्सर की बिटिया चारू ने की ‘छिछोरे’ की एडिटिंग, 6 सितम्बर को रिलीज होगी मूवी

बक्सर की बिटिया चारू श्री राय ने कला और फिल्म के संपादन के क्षेत्र में पहचान बनाकर बिहार का परचम लहराया है. 06 सितम्बर को देशभर में रिलीज हो रही सुशांत सिंह राजपूत और श्रद्धा कपूर अभिनीत ‘छिछोरे’ का संपादन कर चारू ब्लॉक-बस्टर फिल्मों में इंट्री करने जा रही है. इससे पहले कई लघु फिल्मों का संपादन और फीचर फिल्मों में सहायक संपादक की भूमिका निभा चुकी हैं. लघु फिल्म चेसिंग दि रेनबो के लिए उन्हें 61वें राष्ट्रीय फिल्म समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों रजत कमल पुरस्कार प्राप्त हुआ था.

चारू की दसवीं तक की पूरी पढ़ाई बक्सर में ही हुई है. उनके पिता स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त रविकांत राय ने अपनी नौकरी के पन्द्रह साल बक्सर में बिताए. इस दौरान चारू ने शहर के वुडस्टॉक स्कूल से सेकंडरी बोर्ड की परीक्षा पास की. रविकांत अब पटना में रह रहे हैं. 2006 में दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से मास मीडिया व मास कम्युनिकेशन में डिग्री हासिल करने के बाद चारू ने 2011 में भारतीय फिल्म व टेलीविजन संस्थान, पुणो से फिल्म संपादन में डिप्लोमा हासिल किया. पढ़ाई पूरी करने के बाद लघु फिल्मों की एडिटिंग से अपना कॅरियर शुरू किया. 2013 में चारू को खुद द्वारा लिखित, निर्देशित एवं संकलित लघु फिल्म चेसिंग दि रेनबो को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इस फिल्म को वाशिंगटन डीसी साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवल में ऑडिएंस-पोल का भी पुरस्कार प्राप्त हुआ था. पिछले दिनों पटना में आयोजित जागरण फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीनिंग हुई देवांशु की फिल्म ‘चिंटू की शादी’ में संपादन के लिए चारू की खूब तारीफ हुई.

छिछोरे के शूटिंग के दौरान चारू श्री एवं अन्य

चारू बताती हैं कि फीचर फिल्मों में डियर डैड, लखनऊ सेन्ट्रल, हरामखोर, लिपिस्टिक अंडर माई बुर्का और सुई धागा का संपादन कर चुकी हूं. पहली बार उन्हें विशुद्ध व्यवसायिक फिल्म के संपादन का मौका मिला है, 6 सितंबर को रिलीज हो रही ‘छिछोरे’ का बेसब्री से इंतजार है. राजकुमार राव अभिनीत फिल्म का भी संपादन कर रही, जो अगले वर्ष फरवरी में रिलीज होने वाली है. फिल्म का इस तरह से संपादन करना कि कहानी की लय नहीं टूृटे और उसकी गति भी कम नहीं हो, यह चुनौती तो है ही. संतुष्टि तब मिलती है, जब दर्शक फिल्म शुरू होने के बाद उसे पूरी होने तक कुर्सी से चिपके रहते हैं.

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