रोहतास के अकबरपुर से कैमूर के अधौरा तक होगा पहाड़ी सड़क का निर्माण, 16 मार्च तक भरा जाएगा टेंडर; 2018 में स्वीकृत हुआ था सड़क

रोहतास के वर्तमान पहाड़ी सड़क

रोहतास-अधौरा वन सड़क का निर्माण एक अरब 18 करोड़ 62 लाख 44 हजार की लागत से होगा. इसके निर्माण कार्य के लिए दो वर्ष का समय निर्धारित किया गया है. 16 मार्च तक टेंडर भरने की समय सीमा तय की गई है. इस सड़क का निर्माण पथ प्रमंडल डेहरी को करना है. रोहतास जिले के अकबरपुर से कैमूर जिले के अधौरा प्रखंड तक कैमूर पहाड़ी पर स्थित 116 गांव के लिए लाइफलाइन मानी जाने वाली इस सड़क की स्वीकृति मिलने से पहाड़ी गांव के लोगों में खुशी की लहर है.

सड़क निर्माण के लिए पथ निर्माण विभाग द्वारा फेज ए 33 किलोमीटर की निविदा एक अरब 18 करोड़ की निकाली गई है. फेज बी पथ प्रमंडल भभुआ द्वारा 56 करोड़ की लागत से 18.5 किलोमीटर सड़क निर्माण की निविदा प्रक्रियाधीन है. इससे रोहतास प्रखंड के कौड़ियारी, बुधुआ, रोहतासगढ़ समेत सात राजस्व ग्राम व नौहट्टा प्रखंड के रेहल, पिपरडीह, चुन्दा तथा अधौरा प्रखंड के लोहरा, अधौरा, बड़वान समेत दो दर्जन गांवों को सीधा लाभ होगा. रोहतासगढ़ किला सहित गुप्ता धाम, शेरगढ़ आदि ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों पर जाने के लिए यह एक मात्र महत्वपूर्ण सड़क है. सड़क का निर्माण में वन विभाग के निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा. जंगली पशुओं के एनिमल पैसज, अंडर पास, ओवरपास आदि का निर्माण किया जाएगा.

बताते चलें कि 2018 सीएम नीतीश कुमार ने अपनी रेहल यात्रा के दौरान इस वन सड़क को निर्माण करने के लिए रोहतास प्रशासन, रोहतास डीएफओ और पथ प्रमंडल विभाग को निर्देशित किया था. उसके आलोक में डीपीआर बनाने के लिए विभाग को एक आदेश भेजा गया था. फिर भी विभाग लगातार मनमानी करते हुए अपने हिसाब से डीपीआर बनाकर कर्तव्य की इतिश्री करता रहा. पथ प्रमंंडल विभाग ने अनदेखी कर लगातार अपने मानकों के हिसाब से डीपीआर तैयार करता रहा और विभाग को भेज देता था. जब वह डीपीआर वन विभाग के पास पहुंच रहा था तो उसके मानकों के अनुरूप नहीं होता था. जिससे वह खारीज कर देता था. अंत में डीएम की पहल पर डीएफओ ने 29 अगस्त को पुन: एक पत्र लिखा. जिसमें पथ प्रमंडल डेहरी द्वारा लगातार की जा रही गलतियों का जिक्र करते हुए सड़क निर्माण के लिए डीपीआर मांगा गया था.

जिसके बाद डीएम धर्मेंद्र कुमार ने पांच माह पूर्व इस सड़क निर्माण में कोताही बरतने पर अपर मुख्य सचिव पथ प्रमंडल बिहार को पत्र लिखकर विभाग के कार्यपालक अभियंता के खिलाफ कार्रवाई के लिए अनुशंसा की थी. डीएम ने अपने पत्र में इस बात का जिक्र भी किया था कि वनवासी क्षेत्र में जाने वाली इस सड़क के निर्माण को जानबुझ कर पथ प्रमंडल विभाग अधर में लटका रहा है. जो लापरवाह पूर्ण रवैया है. इसके बाद पथ निर्माण विभाग की नींद टूटी और डीपीआर बना डीएफओ को सौंपा. जिसकी वन विभाग ने स्वीकृति दे दी. स्वीकृति के बाद अब टेंडर निकाला गया है. वन विभाग ने जो सशर्त अनुमति दिया उसमें जानवरों के आने जाने, पर्यावरण सुरक्षा, हॉर्न का उपयोग वर्जित, वनस्पतियों की सुरक्षा आदि मानकों को पूरा करते हुए गाड़ियों को खड़ी करने और उनकी गति निर्धारित करने हेतु वन पथ प्रमंडल डेहरी को एक सूची उपलब्ध कराया है.

यह सड़क शुरू से ही पहाड़ी गांवों के लिए बड़ा मुद्दा रहा है. साठ के दशक में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जगजीवन राम ने रोहतास से अधौरा 55 किमी तक सड़क का निर्माण पत्थर बिछवाकर किया था. उसके बाद सांसद छेदी पासवान, पूर्व विधायक ललन पासवान व श्याम बिहारी राम ने अपने-अपने कार्यकाल में इस सड़क निर्माण को लेकर प्रयास किया है. वर्तमान चेनारी विधायक व बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री मुरारी प्रसाद गौतम इस सड़क निर्माण के लिए सदन में आवाज उठाते रहे है.

पथ निर्माण प्रमंडल डेहरी के कार्यपालक अभियंता मो. जियाउद्दीन के अनुसार रोहतास से दुर्गावती नदी तक लगभग 33 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए एक अरब 18 करोड़ की निविदा निकाली गई है. भभुआ कार्यपालक पदाधिकारी मुकेश प्रसाद सिंह के अनुसार 18 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए 56 करोड़ की निविदा निकालने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. जल्द निकाली जाएगी.

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