अपनी सुंदरता से रोहतास-कैमूर की ख्याति बढ़ा रहा दुर्गावती जलाशय

रोहतास और कैमूर जिलों के मैदानी भाग के जो असिंचित क्षेत्र हैं, उन्हें सिंचित करने हेतु ‘दुर्गावती जलाशय परियोजना’ का निर्माण किया गया है. रोहतास और कैमूर जिलों के सीमा पर अवस्थित दुर्गावती जलाशय अपनी रमणीयता व प्राकृतिक सुंदरता को ले पूर्व से ही आकर्षण का केंद्र रहा है. पर्यटक यहां के प्रकृति की सुंदर वादियों, कलकल बहती नदी की धारा में पंक्षियों की चहचहाहट, चारों तरफ से हरे-भरे पेड़ व पहाड़ की चट्टानों पर चढ़ कर घूमना लोग काफी पसंद करते हैं.

दुर्गावती जलाशय

दुर्गावती जलाशय रोहतास के शेरगढ़ पहाड़ी व कैमूर के करमचट के पास राजादेव टोंगर की पहाड़ी के बीच से निकलने वाली दुर्गावती नदी पर बना है. पर्यटक राजादेव टोंगर की पहाड़ी के बैकग्राउंड के साथ तस्वीरें लेने से नहीं चुकते हैं.

राजादेव टोंगर की पहाड़ी के बैकग्राउंड के साथ तस्वीर लेते पर्यटक

इस जलाशय के निर्माण में कई प्रकार की अड़चने आई. लेकिन 38 वर्ष बाद 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी द्वारा दुर्गावती जलाशय परियोजना का उद्घाटन किया गया. कैमूर व रोहतास के किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए 1976 में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम ने इसकी नींव रखी थी. इसके बाद से यह जलाशय एक राजनीतिक मुद्दा बना और सासाराम संसदीय क्षेत्र में प्रत्येक पार्टी इसी जलाशय को मुद्दा बना कर अपनी नैया पार करने की कोशिश करता रहा. अंतत: इसके उद्घाटन का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को गया.

दुर्गावती जलाशय परियोजना

जानकारी के अनुसार दुर्गावती नदी खुखमा गाँव के बारहोमासी जलकुंड के पास एक बाँस की कोठी के कुपड़ से निकलती है. इसमें सदैव पानी बहता रहता है. यहीं से निकलने के बाद आगे जाकर यह नदी का रूप धारण कर ली. जिसे आज दुर्गावती नदी के नाम से जाना जाता है. इस जलाशय की खास बात यह है कि इसके पूर्वी तट पर शेरगढ़ का प्राचीन भूमिगत किला है. जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है.

शेरगढ़ किला प्रवेश द्वार

दुर्गावती जलाशय घूमने आए लोग शेरगढ़ किला को देखना नहीं भूलते. यहां से कुछ ही दूरी पर भुड़कुड़ा का प्राचीन किला भी सैकड़ों वर्षो से विद्यमान है. शेरगढ़ किला की ऊपरी हिस्से से दुर्गावती जलाशय का विहंगम दृश्य देखते ही बनता है. वहां जाने वाले सैलानियों को भ्रमण के लिए पूरा एक दिन भी कम पड़ जा रहा है.

शेरगढ़ किला की ऊपरी हिस्से से दुर्गावती नदी का विहंगम दृश्य

इस बांध की जद में करमचट नामक गांव आ गया. इसलिए आसपास के लोग इसे करमचट डैम भी कहते हैं.

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दुर्गावती जलाशय की ऊँचाई 46 मीटर तथा लंबाई 1615 मीटर है. पानी क्षमता ग्रोस स्टोरेज 275 मिलियन क्यूबीक मीटर तथा लाइफ स्टोरेज 245 मिलियन क्यूबीक मीटर है.

दुर्गावती जलाशय

दुर्गावती जलाशय के पास से ही गुप्ता बाबा के धाम जाने का रास्ता है. यहां से धाम की दूरी 12 किलोमीटर है. आप पैदल या बाइक से जा सकते हैं. स्थानीय लोग सुगवा घाट और पनेरिया घाट से पदयात्रा करते हुए धाम तक जाते हैं.

दुर्गावती जलाशय के पास से गुप्ताधाम जाने का रास्ता

डीएफओ प्रद्युम्‍न गौरव ने बताया कि दुर्गावती जलाशय को इको पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है. दुर्गावती जलाशय के जल प्लावन क्षेत्र में नौका विहार की व्यवस्था रहेगी. जलाशय के पास पर्यटकों को बैठ छटा को निहारने की भी व्यवस्था की जाएगी. दुर्गावती जलाशय के पास वन विभाग द्वारा पुलिस चेक पोस्ट बनाया गया है. ताकि जलाशय के पास कोई प्लास्टिक या मछली पकड़ने वाले समान न लें जा सके.

दुर्गावती जलाशय

यहां ऐसे पहुंचे: दुर्गावती जलाशय चेनारी मुख्य बाजार पहुंचने के बाद चेनारी-मल्हीपुर सड़क के माध्यम से पहुंचा जा सकता है. दुर्गावती जलाशय चेनारी बाजार से 13 किलोमीटर, जिला मुख्यालय सासाराम से 42 किलोमीटर एवं राजधानी पटना से 199 किलोमीटर है. यहां दुपहिये एवं चारपहिये वाहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है.

मल्हीपुर से दुर्गावती जलाशय जाने का रास्ता

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