धान के कटोरा कहे जाने वाले जिले में सरकारी उदासीनता व पैक्सों की मनमानी रैवये के कारण किसानों का धान खरीदने में टालमटोल किया जा रहा है. पूरे जिले मेंं अब तक समर्थन मूल्य पर धान की खरीद शुरू नहीं होने से किसानो को औने-पौने दाम पर अपनी उपज साहूकारों के हाथ बेचना पड़ रहा है. एक ओर जरूरत के काम निपटाने हैं तो दूसरी और मौसम भी इसकी वजह बन रहा है. मौसम की बेरूखी से किसानों की चिंताए बढ़ गई है कि खलिहान में अधिक दिन तक धान रखना कही महंगा न पड़ जाए. जबकि सरकार द्वारा निर्धारित रेट केवल विज्ञापनों में ही सिमट कर रह गयी है.
बिहार सरकार द्वारा किसानों से धान अधिप्राप्ति हेतु विज्ञापन प्रकाशित किया जा रहा है. बिहार सरकार के निर्देशानुसार ए ग्रेड धान की कीमत 1888 रुपए और अन्य धान की कीमत 1868 रुपए तय किया गया है. लेकिन इस रेट पर खरीदार कोई दिख नहीं रहा है. किसान फिलहाल 1000-1200 रुपये प्रति क्विंटल धान बेच रहे हैं. सरकार रोहतास जिला के 200 पैक्स के माध्यम से धान के खरीद का दावे कर रही है. लेकिन बड़ी परेशानी यह है कि जिला में धान की उपज का 20% भी खरीदारी का लक्ष्य नहीं है. ऐसे में किसान 70% धान खुले बाजार में किसान बेचने को मजबूर है.
बता दें कि जिले में एक लाख 90 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती होती है. प्रतिवर्ष यहां के किसान 12 लाख मेट्रिक टन से अधिक धान की उपज करते हैं. इस बार भी 11,84,509 एमटी धान की उपज रोहतास जिले में हुई है. सरकार ने इस बार जिले से 3.30 लाख मिट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है, जिसे लगभग 247 पैक्सो के माध्यम से खरीदना है. 200 सहकारी समितियों को अनुमोदित किया जा चुका है. जिले में शनिवार तक सहकारी समितियों द्वारा 7409 मीट्रिक तन धान की खरीदारी हुई है.
जिला सहकारिता पदाधिकारी समरेश कुमार कहते है कि किसान जल्दबाजी में अपना धान बिचौलियों के हाथों न बेचें. जिले से तीन लाख 30 हजार एमटी धान खरीद के लक्ष्य को पाने के लिए विभाग पूरी तरह से संकल्पित है. नियमानुसार अधिप्राप्ति के लिए ऑनलाइन निबंधन करा चुके सभी किसानों के धान की खरीद की जाएगी. उन्होंने कहा कि किसानों से हर हाल में तय समर्थन मूल्य पर धान खरीदने का निर्देश सहकारी समितियों को दिया गया है. साथ ही किसानों को धैर्य रखने की बात कह बताये की इस बार हर साल से अधिक धान खरीदने का लक्ष्य है. कहा कि मानक के अनुसार 17% से अधिक नमी वाले धान की खरीद नहीं करनी है, इसलिए परेशानी है.
नोखा निवासी किसान अरविन्द कुमार यादव ने कहा कि लघु किसान तों लगभग 80% धान कम दाम पर बिक्री कर दिए है. कुछ बड़े किसान अभी तक धान खरीद की प्रतीक्षा कर रहे हैं. उसमें भी अपने दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अधिकतम धान कम दाम पर बिक्री कर चुके हैं. ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा समर्थन मूल्य का कोई औचित्य नहींं रह जाता है. धान खरीद को सरलीकरण एवं शीघ्रता करनी चाहिए ताकि किसानों को सरकारी समर्थन मूल्य प्राप्त हो सकें. ऐसा नहींं होने पर सरकार विज्ञापन में समर्थन मूल्य देती रहेगी और किसान कम दाम पर धान बिक्री करते रहेंगे.