लोकतंत्र के मर्यादा में आड़े नहीं आयी गरीबी

70वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर आज से रोहतास डिस्ट्रिक्ट डॉट कॉम पर हर शनिवार और रविवार जनता की समस्याओं से जुड़ी मुद्दे भी पढ़ने को मिलेंगे. अगर आपके गांव की कोई जन-समस्या है तो हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9431697310 पर भेज सकते है. पढ़िए मंतोष पटेल की ये रिपोर्ट.

जिले में 70 वां गणतंत्र दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया. विशेष रूप से स्कूलों में छात्रों के द्वारा. विद्यार्थी, गणतंत्र दिवस पर बिभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लिये और अपने अद्वितीय कौशल और ज्ञान को दर्शाएं. स्कूलों में भाषण देना और समूह चर्चा कुछ ऐसी महत्वपूर्ण गतिविधियां रही. जिसमे बच्चे अपने शिक्षक, अभिभावक, अन्य लोगों के सामने भाग लेकर अपना कौशल दिखाए. लेकिन, गणतंत्र दिवस के दिन एक अनपढ़ गरीब अपने लोकतंत्र के मर्यादा कायम रखी, उस गरीब को गणतंत्र का कोई मतलब मालूम नहीं, लेकिन गणतंत्र दिवस मनाने में गरीबी को आड़े आने दिया.

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वह लोकतंत्र के महापर्व गणतंत्र दिवस को बेहतरीन ढंग से मनाया. हालांकि अधिकारियों, राजनेताओं जैसा प्रोग्राम या कार्यक्रम आयोजन कर स्पीच बाजी तो नहीं की, पर जो गणतंत्र दिवस पर जो करना चाहिए वह सब किया. हम बात कर रहे संझौली प्रखंड के साधु भूईया का, जो एक निचले तबके के होकर भी अपने देश के गणतंत्र के लिए जश्न मनाया. वह सुबह उठकर और नहा-धो कर अपने घर के सामने झंडात्तोलन कार्यक्रम की तैयारी करने लगा. करीब सुबह 10 बजे उसने झंडा फहराया, पर गरीबी के कारण मिठाई नहीं बाटी, जिससे आस-पास के लोग वहां एकट्ठा नहीं हुए. झंड़ातोलन के समय मात्र उसकी पत्नी और बच्चें उपस्थित थे.

पत्ती तोड़कर घर जाते हुए साधू भूईया

इसके बाद साधु भूईया ने अपनी रोजी-रोटी के लिए घर से निकला, पर उसने तिरंगें को साथ नहीं छोड़ा. उन्होनें अपने साईकिल के हैन्डिल के दोनों तरफ छोटा तिरंगा बांधा और अपने काम पर निकल गया. जब वह अपने घर में पली बकरियों के लिए पेड़ से पत्ता तोड़ रहा था, तो उस समय उस से गणतंत्र दिवस के बारे में पूछा गया तो उसने कहा, साहब हम गरीब, अनपढ़ गवार हूं.

हमें गणतंत्र के मतलब कुछ नहीं मालूम, पर इतना जरूर जानता हूँ कि आज के दिन देश के लिए शान से तिरंगा फहराया जाता है, जो मैनें भी अपने देश के लिए झंडा फहराया. मैं गरीब और निचले तबके के आदमी हूं, लेकिन अपने देश के आन बान और शान के लिए कुछ भी कर सकता हूं. भले ही मुझे दो वक्त की रोटी के लिए मुहताज रहता हूं, पर देश से बहुत प्यार हूं. यह बात सुन वहां खंडे लोग सहम गये और इनके हौसले को खूब सराहा. बता दें कि आज जिले के कई महादलित टोलों में आधिकारीगण झंडात्तोलन पहुंचे थे. लेकिन साधु भूईया ने सुविधा न होते हुए भी किसी की राह नहीं देखी.

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