सासाराम हाईवे पर लगातार श्रमिकों को भोजन करा रहा सबल

लॉकडाउन को करीब दो महीने होने को आए हैं. इसके बाद भी घर लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों का कारवां थम नहीं रहा है. प्रवासी श्रमिक बड़ी तादात में शहरों से अपने गांव की तरफ पलायन कर रहे है. अधिकांश श्रमिक हजारों किलोमीटर की यात्रा पैदल या डग्गामार वाहनों से पूर्ण कर रहे है. वर्तमान में मजदूरों की क्रय शक्ति बहुत कमजोर हो गयी है, जिस कारण वह भोजन की व्यवस्था नहीं कर पा रहे है. ऐसे में वह भूखे-प्यासे ही अपना रास्ता तय कर रहे है. ऐसे में कई समाजसेवी जरूरतमंदों के साथ-साथ इन्हें भी भोजन-पानी उपलब्ध करा रहे हैं. कुछ समाजसेवी दवाइयां, मास्क एवं फल की भी व्यवस्था कर रहे हैं. ऐसा ही सासाराम का एक समाजसेवी संस्था है ‘सबल’.

सबल संस्था 10 अप्रैल से लेकर अब तक प्रवासी श्रमिकों के लिए भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. जिसके तहत नियमित रूप से सुबह-शाम सासाराम से गुजरने वाले नेशनल हाईवे पर सबल के वॉलिटिंयर प्रवासी श्रमिकों को बिस्कुट, फल, भोजन पैकेट एवं शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा रहे है. श्रमिकों के लिए संस्था के सदस्य खुद ही खाना तैयार करतें हैं.

कोरोना के बचाव लिए इस कार्य में लगे संस्था के सभी सदस्य मास्क का इस्तेमाल करतें हैं और सामाजिक दूरी का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है. इस कार्यक्रम में सौरव उपाध्याय, रविशंकर पाण्डेय, आदित्य, रोहित सिंह, रेयांश सत्यम, क्षितिज सिंह, राधेश्याम पांडेय, विशाल सहसरामी, ऋतुराज रवि, मिथलेश पाठक, तेजबली, धनेश सहित कई सदस्य लगातार कार्यरत हैं जो आर्थिक एवं श्रमदान दें रहें हैं.

सबल संस्था के प्रमुख अरुनिष पांडेय का कहना है कि जरूरतमंद लोगों की मदद नियमित रूप भोजन उपलब्ध कराकर सबल अपने मानवीय कर्तव्यों को पूरा कर रहा है. सबल संस्था का लक्ष्य है कि जब तक सड़क पर प्रवासी श्रमिक रहेंगे तब तक सबल द्वारा भोजन उपलब्ध कराने का प्रयास किया जायेगा.

इस कार्य में लगे सबल के सदस्य विशाल सहसरामी ने बताया कि वह इस कार्य को करकर दिल को बहुत सुकून मिलता है, सुबह-शाम वह जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध करा रहे है. इस काम में जुडे सदस्य क्षितिज सिंह कहते है कि भोजन कई संगठनों के द्वारा बांटे जाने के बाद भी जरूरत के हिसाब से पूरा नहीं हो रहा. इस कार्य में और भी अधिक संगठनों को आगे आने की आवश्यकता है.

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