रोहतास वन विभाग ने जिले के कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी के अलग-अलग क्षेत्रों में 40-50 हेक्टेयर क्षेत्रफल की ग्रासलैंड बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है. यही नहीं, वन्य जीवों की सुरक्षा के मद्देनजर इस संरक्षित वन क्षेत्र में हरेक ग्रासलैंड में वाटरहोल भी बनाए जाएंगे, ताकि जंगली जानवर पानी की तलाश में संरक्षित वन क्षेत्र से बाहर सड़कों और आबादी के इर्द-गिर्द न आएं. यह सब रोहतास वन प्रमंडल का एक वर्षीय एक्शन प्लान का हिस्सा है, जिसे पर वन विभाग ने कार्य आरंभ कर दिया है. इससे वन्य जीवों के लिए वन क्षेत्र में खाने-पीने एवं घूमने का वातावरण मुनासिब होगा. गर्मी में वन क्षेत्र के जिन ग्रासलैंड एवं वाटरहोल के पास टैंकर नहीं पहुंच पायेगा, वैसे जगहों पर सोलर पम्प या हैण्डपंप लगाये जा सकते है. जिससे वाटरहोल में पानी भरा जा सकेगा.
वहीं कुछ दिन पहले जिले के पहाड़ी वन क्षेत्रों में वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व की तर्ज पर वन्य जीवों की प्यास बुझाने के लिए 16 फुट लंबा व चौड़ा कई वाटरहोल का निर्माण हो चुका है. जिनमें प्रतिदिन पानी डाला जा रहा है. इस पानी को पीकर वन्य जीव अपनी प्यास बुझा रहे हैं. इस नये वाटरहोल में छोटे जानवर को गिर कर फंसने का खतरा नहीं है.
गर्मी का मौसम आ गया है, ऐसे में पहाड़ी वन क्षेत्र में पानी का किल्लत न हो, वन्य प्राणियों के पेयजल की व्यवस्था करने में वन विभाग जुटा हुआ है. वहीं वन विभाग वाटरहोल के किनारे प्यास बुझा रहे वन्य जीवों के पदचिह्नों पर भी नजर रख रही है. ताकि पता चले कि किस तरह के जानवरों का आना हुआ है.
इस संबंध में डीएफओ प्रद्युम्न गौरव ने बताया कि वन संरक्षित क्षेत्र के कई इलाकों में वाटरहोल बनाये गए है. जिसकी निगरानी शुरू हो चुकी है. नए वाटरहोल में छोटे जानवर को गिर कर फंसने का खतरा नहीं है. पानी की तलाश में वन्य जीव भटक कर वन क्षेत्र से भटक कर बाहर न आये इसके लिए वाटरहोल बनाये गए है. वन क्षेत्र से भटक कर बाहर आये वन जीव कई तरह के हादसों के शिकार हो जाते है. इसलिए वन्य जीवों को जंगल के अंदर पानी की व्यवस्था की गयी है. साथ ही कैमूर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के अलग-अलग क्षेत्रों में ग्रासलैंड बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है. हर ग्रासलैंड में वाटरहोल भी बनेंगे.