हरितालिका तीज व्रत इस बार दो सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य के लिए व अविवाहित युवतियां मनचाहा वर पाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत में फलाहार की भी मनाही है और यह व्रत बेहद कठिन होता है।
तीज व्रत पर इस बार विशेष संयोग बन रहा है। हस्त नक्षत्र में व्रत पड़ने के कारण यह महिलाओं के लिए काफी फलदायक है। दो सितंबर को तृतीया तिथि नौ बजकर एक मिनट तक है। इसके बाद चतुर्थी तिथि प्रवेश कर जाएगा। परंतु शास्त्र सम्मत है कि सूर्य जिस तिथि में उदय होता है, उस तिथि का मान्य सूर्यास्त तक रहेगा। इसलिए शास्त्र नियमानुसार दो सितंबर दिन सोमवार को ही हरितालिका तीज व्रत मनाया जाएगा।
इस पर्व पर कई तरह के पकवान जैसे पेडकिया, ठेकुआ व खोवे की अन्य सामग्रियां बनाया जाता हैं, जिन्हें पूजा बाद प्रसाद स्वरुप एक दूसरे को दिया जाता है। सदियों से चली आ रही परम्परा के अनुसार बहुओ के मैके या ससुराल से तीज आने और जाने की परंपरा आज भी कायम है। बता दें कि क्षेत्रवाद के अनुसार परंपरा का निर्वहन किया जाता है।
उक्त जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य पं. सुदर्शन पांडेय ने बताया कि यह पर्व सौभाग्यशाली महिलाएं व अविवाहित कन्याएं चिरस्थायी सौभाग्य की कामना से बड़े ही श्रद्धा व विश्वास के साथ करती हैं। इस साल यह व्रत शुभ योग में पड़ रहा है। जो काफी फलदायक है। व्रत में पारण करने का चतुर्थी तिथि में ही विधान है। जो तीन सितंबर दिन मंगलवार को सुबह छह बजकर 36 मिनट तक है। उसके उपरांत पंचमी तिथि प्रवेश कर जाएगा। जिसमें पारण करना अमंगलकारी है।
व्रत करने का विधान: तीज के दिन यानी तीन सितंबर की सुबह ब्रह्ममुर्हूत में जगकर स्नान करें। विधि विधान से व्रत रख भगवान शिव व गौरी को प्रतिष्ठित कर पूजा-पाठ करें। मंगलवार की सुबह छह बजकर 36 मिनट के पहले सर्वप्रथम तुलसी पत्ते व गाय के दूध से पारण करें। इसके बाद अन्न ग्रहण करना चाहिए। किदवंती है कि इस व्रत को माता पार्वती ने अविवाहित होने के समय शुरू की थी। जिसके प्रभाव से उन्हें भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।