बिहार से बाहर के राज्यों में रोजगार के लिये गये हमारे लोग इस कोरोना दौर में काफी कष्ट झेल कर पुनः वापस अपने प्रदेश में लौट आये हैं. सरकार के सामने अब उन बेरोजगार हाथों को काम देना सबसे बड़ी चुनौती है. लोगों का मानना है कि अगर समय रहते उन हाथों को काम देने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाये गये, तो प्रदेश में कोरोना वायरस से ज्यादा भूखमरी की समस्या खड़ी हो जाएगी. प्रदेश आये उन लाखों बेरोजगार हाथों को काम देने के लिए धान के कटोरा कहे जाने वाले शाहाबाद क्षेत्र में राइस मिलों को पैकेज देकर रोजगार का सृजन किया जा सकता है.
रोहतास, भोजपुर, बक्सर व कैमूर जिलों को मिला कर पूर्व में रहे शाहाबाद जिला में सर्वाधिक धान होने के कारण इसे धान का कटोरा भी कहा जाता है. कुछ वर्ष पहले यहाँ सैकड़ों की संख्या में राइस मिलें थी. यहां से ट्रकों पर लादकर चावल बंगला देश तक जाता था. जिससे यहां का चावल मंडी पूरे बिहार में प्रसिद्ध था. लेकिन उद्योग की सुस्ती से चावल मंडी में सन्नाटा पसरा हुआ है. एक राइस मिल में 90 से 100 लोगों को रोजगार मिलता था. किसानों, व्यवसायियों को भी अच्छी आमदनी हो जाती थी. पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक तंगी के कारण एक-एक कर यहां की राइस मिलें बंद हो रही हैं. जो मिलें आर्थिक तंगी के कारण बंद हो चुकी हैं, वैसे मिलों को सरकार द्वारा आर्थिक पैकेज मुहैया करा कर पुनः खुलवाया जा सकता है. यहां नई मिलों की स्थापना के लिए भी सरकार लोगों को प्रोत्साहित कर सकती है. इससे लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही क्षेत्र का भी विकास होगा.
इस मामले में जदयू के वरिष्ठ नेता नंद कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर सभी राइस मिलों को आर्थिक पैकेज दे कर चालू करने का आग्रह किया है. पत्र में उन्होंने कहा है कि इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है. लगता है इस महामारी से जल्दी निजात मिलने वाला नहीं है. बिहार से बाहर रहने वाले परदेसी श्रमिक अपने गांव बिहार आ रहे हैं, सरकारी आंकड़े के मुताबिक इनकी संख्या करीब 25 लाख बताई जा रही है. ऐसी परिस्थिति में सभी श्रमिक को रोजगार मुहैया कराना अनिवार्य है. उन्हें तीन माह तक अनाज मुफ्त देने से काम चलने वाला नही है. समय रहते रोजगार सृजन करना अनिवार्य है, नही तो पूरे राज्य में भुखमरी की स्थिति हो जाएगी. जो कोरोना महामारी से भी भारी पड़ेगा. इस बिषम परिस्थिति में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के सभी बन्द पड़े राइस मिल को आर्थिक पैकेज देकर खोलने का आदेश दिया जाए. इन मिलों से पूरे बिहार के हजारों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है. साथ ही राज्य में जितने भी पुरानी फैक्ट्रियां बन्द पड़ी है उसको आर्थिक पैकेज से राशि देकर चालू कराने का प्रयास कराया जाय.