भारत-चीन के बीच झड़प में बिहार के पांच जवान शहीद

शहीद सुनील कुमार का पार्थिव शरीर पहुंचा पटना

पूर्वी लद्दाख में गालवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए हैं. इस झड़प में बिहार के पांच सपूतों ने भी सीमा की रक्षा करते हुए अपनी जान की कुर्बानी दी. बिहार के पांच शहीद सैनिकों में पटना के हवलदार सुनील कुमार, भोजपुर के सिपाही चंदन कुमार, वैशाली के सिपाही जयकिशोर सिंह, समस्तीपुर के सिपाही अमन कुमार और सहरसा के सिपाही कुंदन कुमार शामिल हैं. इनमें से एक जवान सुनील कुमार का पार्थिव शरीर पटना पहुंचा. विशेष विमान से शहीद सुनील कुमार के पार्थिव शरीर को लाया गया. पटना एयरपोर्ट पर कई मंत्री व नेता वहां पहुंचे और शहीद को श्रद्धांजलि दी. बाकी जवानों के शव भी लाये जा रहे हैं. 

लद्दाख के गलवान घाटी में चीन से खूनी झड़प में पटना के बिहटा प्रखंड में सिकरिया पंचायत के तारानगर निवासी सुनील कुमार भी शहीद हुए हैं. सपूत के शहीद होने की सूचना से पूरे गांव में मातम है. सुनील कुमार सेना में साल 2002 में शामिल हुए थे. बेटे की मौत की ख़बर सुनकर बूढ़े पिता कुछ बोल नहीं पा रहे हैं और मां कहती हैं कि बेटा लॉकडाउन के चलते घर नहीं आ पाया. सुनील की पत्नी रीति देवी और उनके तीन बच्चे दानापुर में रहते हैं. सुनील की बेटी आठवीं कक्षा, उससे छोटा बेटा छठीं कक्षा और सबसे छोटा बेटा यूकेजी में पढ़ता है.

सिपाही चंदन कुमार

भोजपुर के जगदीशपुर प्रखंड के कौरा पंचायत के ज्ञानपुरा गांव के रहने वाले सिपाही चंदन कुमार हिंसक झड़प में मारे गए हैं. 24 साल के चंदन चार महीने पहले ही अपने गांव आए थे. चंदन चार भाई हैं. उनके सबसे बड़े भाई देव कुमार सिंह, मंझले संजीत कुमार, उससे छोटे गोपाल सिंह सभी सेना में हैं. चंदन सबसे छोटा था. मंगलवार रात फ़ोन आया था लेकिन परिवार में पिताजी फोन नहीं रिसीव कर पाए तो सुबह उसकी शहादत की सूचना मिली. किसान पिता हृदयानंद सिंह के बेटे चंदन दो साल पहले ही सेना में शामिल हुए थे. बीते 6 दिनों से परिवार से उनकी बातचीत नहीं हो पाई थी जिसको लेकर परिवार घबराया हुआ था. मंगलवार रात से ही भारतीय सैनिकों के मारे जाने की खबर सुनकर परिवार घबराया हुआ था.

सिपाही जय किशोर सिंह

वैशाली के सिपाही जय किशोर सिंह महज़ 22 साल के थे. जय किशोर की मौत की खबर आने के बाद जंदाहा थाने के चकफ़तह गांव में उनके घर पर भीड़ लगी है. घर के बाहर मां मंजू देवी का रूदन दिल दहला रहा है. पिता राजकपूर सिंह बताते हैं, “एक महीना पहले फोन आया था. उसने कहा था कि ऊपर तैनाती हो रही है. वहां टावर नहीं मिलेगा तो बात नहीं हो पाएगी. जब नीचे आएगें तो बात करेंगें.” अविवाहित जय किशोर सिंह का फ़ोन तो नहीं आया लेकिन बुधवार सुबह 9 बजे उसके गंभीर होने की सूचना मिली. किसान पिता राजकपूर ने बताया, “पहले बोला कि बेटा गंभीर है, तो हमने कहा कि आप लोग ठीक से इलाज कराइए. फिर 11 बजे फोन आया कि आपका बेटा शहीद हो गया. मां बाप का करेजा है तो फट गया.” 2018 में सेना में गए जय किशोर के बड़े भाई नंद किशोर भी सेना की नौकरी में हैं और उनकी तैनाती सिक्किम में है. जय किशोर सिंह के दो छोटे भाई अभी पढ़ाई कर रहे हैं.

सिपाही अमन कुमार

समस्तीपुर जिला के मोहिउद्दीन नगर प्रखंड के सुल्तानपुर गांव के रहने वाले सुधीर कुमार सिंह के पुत्र अमन कुमार सिंह चीनी सैनिकों के साथ हुए झड़प में शहीद हो गए. सिपाही अमन कुमार सिंह के पिता सुधीर कुमार ने बताया, “रात 9 बजे के करीब किसी का फोन आया था. फोन उठाया तो उन्होंने पूछा कि आप कौन बोल रहे हैं? मैने बताया कि उसका पापा बोल रहा हूं, तो दूसरी तरफ से बस इतना कहा गया कि ‘अमन शहीद हो गए.’ ये कहकर फोन काट दिया गया. हम आगे कुछ नहीं पूछ पाए. रात में उस नंबर पर कई बार फोन लगाया तो फोन नहीं लगा. सुबह फोन लगा है तो बताया गया है कि शव आएगा.” 25 साल के अमन की शादी बीते साल 27 फरवरी को हुई थी. पटना जिले के बाढ़ के राणाविद्दा गांव की मीनू देवी से उनकी शादी हुई थी. अमन के गांव सुल्तानपुर के साथ-साथ राणाविद्दा में भी गम पसरा हुआ है. पति की मौत की खबर सुनकर मीनू देवी का रो-रोकर बुरा हाल है. वो कहती हैं, “फरवरी में आए थे तो बोले थे कि जल्दी आएंगे. उनकी पोस्टिंग लेह हो रही थी. लेकिन अब वो नहीं आएंगे.” अमन के दो भाई और एक बहन हैं. बहन जहां बिहार पुलिस में कार्यरत हैं, वहीं बड़े भाई राहुल प्राइवेट नौकरी करते हैं और छोटे भाई रोहित पढ़ाई कर रहे हैं.

सिपाही कुंदन यादव

अमन के घर जैसा ग़म का माहौल सहरसा के सत्तरकटैया प्रखंड के आरण गांव में भी पसरा है. निमिंदर यादव के घर के दालान में बीती रात से ही आने जाने वाला का सिलसिला नहीं टूट रहा है. इस गांव के कुंदन यादव भी हिंसक झड़प में मारे गए हैं. कुंदन यादव अपने पीछे पत्नी बेबी देवी और दो बेटों 6 साल के रौशन और 4 साल के राणा कुमार को छोड़ गए हैं. कुंदन के घर रात तकरीबन 10 बजे के आसपास फोन आया था जिसमें कुंदन के शहीद होने की जानकारी दी गई थी. कुंदन के पिता निमिंदर यादव पेशे से किसान हैं. उनके परिवार से जुड़े 4 लोग सेना का हिस्सा हैं. परिवार वाले बताते हैं कि चार दिन पहले ही कुंदन का फोन आया था.

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