दुनिया का चौथा सबसे लंबा बराज है इन्द्रपुरी, आठ जिले की जीवन रेखा यह बराज

इंद्रपुरी बराज (जिसे सोन बराज भी कहा जाता है) रोहतास जिले के तिलौथू प्रखंड के इंद्रपुरी में सोन नदी पर स्थित है. सोन नद मध्य प्रदेश में अमरकंटक के पास नर्मदा नदी के पूर्व में बसती है. सोन मध्यप्रदेश से निकल कर उत्तरप्रदेश, झारखण्ड और बिहार के पहाड़ियों से गुजरते हुए पटना के समीप जाकर गंगा नदी में मिल जाती है.

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इस नदी का नाम सोन पड़ा क्योंकि इस नदी के बालू (रेत) पीले रंग के है जो सोने कि तरह चमकते है. इस नदी के रेत भवन निर्माण आदी के लिए बहुत उपयोगी हैं यह रेत पूरे बिहार में भवन निर्माण के लिए उपयोग में लाया जाता है तथा यह रेत उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में भी निर्यात किया जाता है.

इंद्रपुरी में इंद्रपुरी बराज 1,407 मीटर (4,616 फीट) लंबा है, जो दुनिया में चौथा सबसे लंबा बराज है. इस बराज पर सड़क पुल भी है. इसका निर्माण एचसीसी द्वारा किया गया था, जिसने दुनिया में सबसे लंबी 2,253 मीटर लंबी फरक्का बराज का निर्माण किया था.

Indrapuri Dam

इंद्रपुरी बराज का निर्माण 1960 के दशक में किया गया था और इसे 1968 में चालू किया गया था. इसकी करीब 209 मिल की मुख्य नहरे है और 150 मिल की छोटी नहरे और आगे डेढ़ हजार मिल तक उससे भी छोटी नहरें हैं.

बता दें कि इसका पानी मछली के लिए जाना जाता है अब मछलियां कम गयी हैं, लेकिन इसके किनारे आकर आज भी लोग अपना हाली समय बिताते हैं, खाना बनाते हैं सोन के पानी मे ही इनका भोजन तैयार हो जाता है.

डेहरी-ऑन-सोन के एनिकट में तीन किलोमीटर चौड़ी पाट के कारण हहराते मिनी सागर जैसा दिखने वाली सोन नदी पर 14 फीट ऊंचा व 12469 फीट लंबा एनिकट का वीयर (बांध) बनाकर इसके जलस्तर को ऊंचा उठाया गया और एनिकट के पूर्वी सिरे की नहर में 1874 और पश्चिमी सिरे की नहर में 1876 में पानी प्रवाहित किया गया था. 1867 में स्थापित हुई ईस्ट इंडिया इरिगेशन एंड कैनाल कंपनी के वाणिज्यिक उपक्रम सोन नहर प्रणाली का निर्माण कार्य 1868 में शुरू हुआ था.

एनिकट में धीरे-धीरे बालू भरता गया और सोन नहर प्रणाली में पानी का प्रवाह कम होता गया. तब 1965 में डेहरी-ऑन-सोन से आठ किलोमीटर ऊपर इंद्रपुरी में सोन नदी पर 4624 फीट लंबा बराज बनाया गया और इसके दोनों सिरे से नहरें निकालकर उन्हें डेहरी-ऑन-सोन और बारुण की पुरानी नहरों से जोड़ा गया. तब नहरों से पानी की पहुंच फिर से 17.5 लाख एकड़ खेतों तक हुई और गया व औरंगाबाद जिलों के पांच लाख एकड़ खेतों के लिए सिंचाई क्षमता का भी विस्तार हुआ था.

मगर सोन नदी के ऊपर मध्य प्रदेश में वाणसागर जलाशय और उत्तर प्रदेश में रिहंद जलाशय बनने के बाद इंद्रपुरी बराज में भी पानी की आवक कम हो गई. 180 फीट चौड़ी मुख्य नहर में बहता था नौ फीट गहरा पानी आज पानी के लिए तरस रही सोन नहर प्रणाली की 65 मील लंबी मुख्य डेहरी-आरा नहर में नौ फीट गहरा पानी बहता था, जिसकी चौड़ाई 180 फीट है. इस नहर प्रणाली के दोनों सिरों (पूरब व पश्चिम) से जुड़ी मुख्य नहरों में 218 मील में नौपरिवहन भी होता था, जिसके लिए 4547 माल-वाहक और 530 यात्री-वाहक छोटे जलपोत (वाप्ष चालित स्टीमर) पंजीकृत थे. 20वीं सदी के पूर्वाद्ध तक ये स्टीमर डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास) और बारुण (औरंगाबाद) से सोन नदी से चलकर गंगा नदी में उतरते थे, जहां से यात्री और माल बड़े स्टीमरों के जरिये पूरब में कोलकाता तक और पश्चिम में बनारस होकर इलाहाबाद तक पहुंचते थे.

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