पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती. हम चांद तक पहुंच गए हैं, लेकिन अशिक्षा का घाव आज भी हमें दर्द देता है. हालांकि अब लोगों को शिक्षा का महत्व समझ में आने लगा है. शिक्षा की अलख घर-घर जल रही है. बैंक हो, डाकघर या फिर राशन की दुकान, जहां कभी लोग ठप्पा लगाकर काम करते थे आज बेधड़क स्मार्ट फोन तक चला रहे हैं. यानी पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती बस ललक होनी चाहिए.
कह सकते हैं कि शिक्षा सपने को सच करने का सारथी है. दुनिया से अशिक्षा को समाप्त करने के संकल्प के साथ मंगलवार को 53वां ‘अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ मनाया गया. बता दें कि साल 1966 में यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) ने शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने तथा विश्व भर के लोगों का ध्यान शिक्षा की ओर आकर्षित करने के लिए प्रतिवर्ष आठ सितम्बर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का निर्णय लिया था.
गौरतलब है कि 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार का साक्षरता 63.82 प्रतिशत है. इसमें पुरुषों की साक्षरता दर 73.39 और महिलाओं की 53.33 फीसदी है. सूबे में रोहतास जिले की साक्षरता दर सबसे बेहतर 75.59 प्रतिशत है. इसमें पुरुषों की साक्षरता दर 85.29 और महिलाओं की 64.95 फीसदी है. इसके बाद मुंगेर 73.30 फीसदी के साथ दूसरे स्थान, भोजपुर 72.79 फीसदी के साथ तीसरे स्थान, औरंगाबाद 72.77 के साथ चौथे स्थान और राजधानी पटना 72.47 के साथ पांचवे स्थान पर है.