जन्माष्टमी आज, वर्षों बाद एक ही दिन वैष्णव व गृहस्थ मनाएंगे कृष्ण जन्मोत्सव

श्रीकृष्ण की तरह सजा बालक

भाद्र कृष्ण अष्टमी यानि आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है. कान्हा के जन्मोत्सव को लेकर मदिरों से लेकर घरों तक तैयारियां चल रही है. अनलॉक-6 में धार्मिक स्थलों के खुल जाने से भक्तगण भी मंदिरों में जाकर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मना रहे है. कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार 101 साल बाद जयंती योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है. जयंती योग में ही आज भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मध्यरात्रि 12 बजे मनाया जायेगा. वर्षों बाद इस बार वैष्णव व गृहस्थ एक ही दिन जन्मोत्सव मनाएंगे.

पंडित रामदेव पांडेय ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का जब जन्म हुआ था, तब तिथि अष्टमी थी, नक्षत्र रोहिणी था और समय अर्धरात्रि की थी. इस बार भी यह योग है कि भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी तिथि अष्टमी को, नक्षत्र रोहिणी में और अर्धरात्रि को मनाई जाएगी. यह मुर्हूत ही इस बार मेल खा रहा है. उन्होंने बताया कि हर बार गृहस्थ लोग तिथि अष्टमी और नक्षत्र कृतिका में जन्माष्टमी मनाते थे और वैष्णव तिथि अष्टमी और नक्षत्र रोहिणी में जन्माष्टमी मनाते थे. लेकिन, इस वर्ष द्वापर युग जैसा योग होने के कारण वैष्णव और गृहस्थ एक ही दिन जन्माष्टमी मनाएंगे.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा के मौके पर रोहतास जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही पूजनोत्सव की परंपरा इसबार भी बेहतर तरीके से मनाया जा रहा है. इसको लेकर मंदिरों व ठाकुरवाड़ी की साफ-सफाई और सजावट की जा रही है. डेहरी, सासाराम व नोखा सहित कई जगहों पर झांकी निकालने की तैयारी की जा रही है.

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