भगवान श्रीराम की महावीरी सेना ने उन्हें लंका पर विजय दिलाने में मदद की थी. जिला मुख्यालय सासाराम की ‘महावीरी सेना’ ने सैकड़ो बेरोजगार युवाओं को गरीबी की जंग में विजय दिलाई है. सेल्फ कोचिंग सेंटर रूपी इस सेना का कारवां बढ़ता जा रहा है. प्रतियोगी परीक्षा के लिए दिन-रात परिश्रम कर यहां के पांच सौ से अधिक युवा सरकारी विभागों में सेवा कर रहे हैं. वे वेतन से एक से तीन हजार रुपये प्रतिवर्ष सेना के नए सिपाहियों के लिए सहयोग करते हैं.
बात 2006 की है. जब साधारण घर से नौकरी का सपना पाले गांव से सासाराम आये छोटेलाल सिंह, उदय प्रताप सिंह, अमोद कुमार, सुमित कुमार सिन्हा, मिथिलेश पाठक कोचिंग की महंगी फी वहन करने में असमर्थ महसूस करने लगे, तो उनकी मंजिल उनसे दूर होते दिखने लगी. फिर उन्होंने गांव लौटने का भी मन बनाया. इसी बीच कुछ साथियों ने सासाराम के कुराइच स्थित महावीर मंदिर के उद्यान में बैठकर योजना बनाई कि वे बिना कोचिंग तैयारी करेंगे. उस योजना के दौरान मंदिर में प्रतिदिन तैयारी करने का समय तय कर लिया. नाम रखा महावीर क्विज एंड टेस्ट सेंटर. धीरे-धीरे गरीब युवा छात्र जुड़ने लगे. स्वाध्याय से तैयारी रंग लाने लगी.
सबसे पहले 2007 में सुमित का एक्साइज इंस्पेक्टर के पद पर चयन हुए. उसके अगले वर्ष उदय का भी चयन सहायक स्टेशन मास्टर के पद पर हो गया. जिसके बाद प्रतिभावान छात्रों में उत्साह बढ़ता गया. धीरे-धीरे कुछ ही वर्षों में यहां स्वयं तैयारी करने वालों की संख्या सैकड़ो पहुंच गई. चयन का भी सिलसिला बढ़ता गया. इसी बीच मृत्युंजय बिहार पुलिस, मनीष टैक्स असिस्टेंट, मुन्ना कुमार एक्साइज इंस्पेक्टर, छोटे लाल सिंह भारतीय रेल, मिथिलेश पाठक सचिवालय सहायक समेत अन्य साथी भी विभिन्न पदों पर चयनित होते गए.
महावीरी सेना के सदस्यों ने वैसे युवाओं में भी सरकारी नौकरी की भूख जगा दी है जिनके पास साधन की कमी है. गांव व टोलों के छात्रों को हर प्रकार की सहायता व मार्गदर्शन कर आगे बढने की प्रेरणा दे रहे हैं. अपने-अपने क्षेत्र में अभिरुचि रखने वाले छात्र अलग-अलग ग्रुप बना तैयारी कर रहे हैं.
बारी-बारी से प्रश्नपत्र का सेट बनाकर अन्य छात्रों से भी समय सीमा के अन्दर हल करने का प्रयास करते हैं. जिसकी व्यवस्था पूरी तरह नि:शुल्क है. यहां सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवा खुद ही शिक्षक, परीक्षक व प्रतिभागी हैं. जो छात्र शिक्षक की भूमिका में रहते हैं, उन्हें एक निश्चित पारिश्रमिक दिया जाता है. स्टडी मेटेरियल व क्विज पेपर के खर्च भी यहां से निकलकर नौकरी करने वाले छात्र वहन करते हैं.
महावीर क्विज सेंटर के संस्थापक सदस्य छोटेलाल सिंह का कहना है कि, गरीब घर में जन्म लेने के बाद भी सपने को उड़ान देने में कमी नहीं की. उन्होंने कहा कि अभाव ग्रस्त बच्चों की प्रतिभाएं कुंठित हो रही है. ऐसे में उनके लिए महावीर क्विज सेंटर एक वरदान के रूप में है. महावीर मंदिर में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने से इसका नाम महावीर क्विज एंड टेस्ट सेंटर रखा गया. प्रबंधन का कार्य पूर्ववर्ती छात्रों द्वारा किया जाता है.
बता दें कि 20 सितंबर को नि:शुल्क प्रतियोगी शिक्षण संस्थान महावीर क्विज एंड टेस्ट सेंटर का 13वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा. संस्थापक छोटेलाल सिंह ने बताया कि स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन को निमंत्रण दिया गया है. निदेशक सरोज कुमार बताया कि हर साल की तरह इस साल भी महावीर क्विज एंड टेस्ट सेंटर से पढ़ाई कर सरकारी एवं गैरसरकारी कार्यालयों में अनेक पदों पर कार्यरत साथियों को प्रतीक चिन्ह एवं उपहार देकर सम्मानित किया जाएगा. इस मौके पर अतिथि के रूप में कई गणमान्य मौजूद रहेंगे.