तुतला भवानी धाम में नहीं होगा प्लास्टिक-थर्माकोल के प्लेट-ग्लास का प्रयोग, चूल्हे का प्रयोग भी वर्जित

तुतला भवानी धाम

तिलौथू के कैमूर पहाड़ी की गोद में बसे मां तुतला भवानी धाम में वन क्षेत्र पदाधिकारी ने भ्रमण किया व धाम की स्वच्छता को ले पूजा कमेटियों व वनपाल को कई निर्देश दिए. साथ ही उस पर अमल करने को कहा. बताया जाता है कि शुक्रवार को रेंजर सत्येंद्र शर्मा ने तुतला भवानी धाम व धाम के पास लगे नर्सरी का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने पूजा कमेटियों व वनपाल को धाम परिसर में श्रद्धालुओं को गंदगी फैलाने से रोकने के लिए प्लास्टिक और थर्माकोल के बने दोने, प्लेट व ग्लास का प्रयोग नहीं करने, साथ ही खाना-पीने व चूल्हे का प्रयोग सेंच्युरी क्षेत्र में नहीं करने की बात कहीं.

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उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि धाम परिसर में फोम के बने दोने, पत्तल, ग्लास इत्यादि का प्रयोग नहीं करें. नदी में गंदे कपड़े नहीं छोड़ें. क्योंकि जल प्रदूषित हो सकता है. सेंचुरी क्षेत्र में धुआं व आग नहीं जलाएं और न ही खाना बनाएं. ताकि पर्यावरण प्रदूषित होने से बचाया जा सके. धाम परिसर के दो किलोमीटर पहले वाहनों की पार्किंग की जाए.

तुतला भवानी में पौधाशाला

रेंजर ने बताया कि धाम परिसर के समीप नर्सरी में फिलहाल चार लाख पौधे उगाए गए हैं. इन पौधों में बरगद, पीपल, नीम, आम, आंवला, गुल्लर, बेल, अमरूद, सागवान, शीशम, सखुआ इत्यादि फलदार व औषधीय पौधे शामिल हैं. जिनका पौधरोपण तुतला भवानी धाम के वन क्षेत्र में किया जाएगा. इसकी निगरानी के लिए वन आरक्षी की तैनात होगी. मौके पर वनपाल बाल्मीकि सिंह, तुतला भवानी विकास कमेटी के अध्यक्ष गुरुचरण यादव आदि मौजूद थे.

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