कोरोना काल में भी बिहार 59 जेलों में क्षमता से 21 फीसदी अधिक कैदी जेलों में बंद हैं. गृह विभाग के कारा ब्रांच के रिपोर्ट के अनुसार राज्य के सभी जेलों में 46619 कैदियों के बंद करने की क्षमता है, जबकि वर्तमान में बंदी कैदियों की संख्या करीब 56424 है. 31 दिसंबर, 2020 को बिहार के जेलों में कैदियों की कुल संख्या 51,270 थी जो अप्रैल में बढ़कर 56,424 हो गई है. जेलों में महिलाओं की अपेक्षा पुरुष कैदियों का दबाव ज्यादा है.
अप्रैल की रिपोर्ट के अनुसार, जेलों में पुरुष कैदियों को रखने की क्षमता 44,572 है, जिसकी तुलना में 54,296 कैदी हैं. वहीं 2,047 महिला कैदियों की तुलना में 2,128 महिलाएं जेलों में बंद हैं. महिलाओं की कई जेल ऐसी हैं, जो बहुत हद तक खाली हैं, जबकि कुछ जेलों में पांच गुना तक भीड़ है. ऐसे ही रोहतास जिले के सासाराम जेल में महिला कैदी की क्षमता 10 है, जबकि यहां 43 महिला कैदी है. 430 फीसद महिला कैदियों से भरे होने की वजह से इसे ग्रीन जोन में रखा गया है. सासाराम जेल पुरुष कैदी की क्षमता 960 है जबकि यहां 1091 पुरुष कैदी है. 114 फीसद पुरुष कैदियों से भरे होने की वजह से इसे ग्रीन जोन में रखा गया है. वहीं, बिक्रमगंज उपमंडल कारा में 307 पुरुष कैदी की क्षमता है जबकि यहां 368 पुरुष कैदी है. 120 फीसद पुरुष कैदियों से भरे होने की वजह से इसे ग्रीन जोन में रखा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने आठ मई को ही कोरोना संक्रमण को देखते हुए जेलों में कैदियों का दबाव कम करने का निर्देश दिया था. इस दिशा में बिहार में भी पहल शुरू हुई है. जेल प्रशासन की ओर से गृह विभाग को इससे जुड़ा प्रस्ताव भेजा गया है. राज्य के जेलों में कैदियों की भीड़ कम करने के लिए पटना हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है. निचली अदालतों में भी वर्चुअल मोड पर जमानत अर्जी पर सुनवाई शुरू करने की तैयारी है.