यदि आप बिहार में रहते हैं तो ये चाइनीज मोमोज आपके लिए बिल्कुल अनजाना खाद्य पदार्थ नहीं लगता और ना ही नेपाली ममचा क्योंकि यह दोनों अपने देसी पिट्ठा का ही विदेशी संस्करण है. पिट्ठा शब्द के जन्म की कहानी बेहद दिलचस्प है. दरअसल पीसा हुआ पदार्थ संस्कृत में पिष्ट कहलाता है और पीसे हुए आटे को पानी या दूध में गूंथ कर गोल या चपटे आकार के उबले या तले खाद्य पदार्थ को पिष्टक की संज्ञा दी जाती है. यह पिट्ठा इसी पिष्टक का अपभ्रंश है. इसे आसाम में मोहुरा तो बिहार-झारखंड और यूपी में पिट्ठा कहते हैं.
अपना बिहारी पिट्ठा इस वजह से ब्रांड है क्योंकि यह नयी फसल का पकवान है. ऐसा पकवान जो हर घर में पौष या पूस का महीना आते ही जरूर बनता है. पूस का महीना आते ही बिहार के तकरीबन हर घर में पिट्ठा के बनने के बारे में सवाल शुरू हो जाते हैं. पूस आ गया है पिट्ठा नहीं बनेगा? इसका कारण भी पर्याप्त है. कृषि प्रधान राज्य होने के कारण बिहार का हर घर नयी फसल की खुशबू से दो चार होता है. जब धान की फसल खेतों से घर आती है तो पहले चूड़ा बनता है फिर धान कुटा कर चावल बनते ही पिट्ठा की डिमांड हर घर में शुरू हो जाती है.
पिट्ठा बनाने में चावल के आटे का प्रयोग होता है. पिट्ठा कई तरह से बनता है. नमकीन भी और मीठा भी. नमकीन पिठ्ठा खाने में बड़े ही स्वादिष्ट लगते है़. नमकीन पिट्ठा बनाने के लिए चने की दाल को चार घंटे या रात भर के लिए पानी में भिंगो दीजिए, भींगी दाल को धोईये और मिक्सर में डाल कर बिना पानी मिलाये थोड़ी मोटी दाल पीस लीजिए. पिसी दाल में नमक, हल्दी पाउडर, धनियां पाउडर, अमचूर पाउडर और गरम मसाला डालकर अच्छी तरह मिलाकर चावल के आटे की लोई के बीच में डालकर पका लीजिए. मीठा में जो प्रयोग करना है आप कर लीजिए. जाड़े में गुड़ मिलता है, उसी को डाल दीजिए. बादाम और गुड़ मिलाकर मिश्रण का चावल के आटे की लोई के बीच में डालकर पका लीजिए या अभी नया आलू आया तो उसका भी चोखा बनाकर भर लीजिए. पिट्ठा सबको अपने में समाहित कर लेगा. नमकीन गर्मा गर्म पानी में उबालिए या दूध में, कोई फर्क नहीं पड़ता. आपको ऐसा स्वाद मिलेगा जो आपको फिर से डिमांड करने पर मजबूर कर देगा. 13 दिसंबर से पौष की शुरूआत हो चुकी है, जो 10 जनवरी 2020 तक है. तो आप भी पूस के पिट्ठे का गर्मागर्म स्वाद लेते रहिए.
Source: रविशंकर उपाध्याय