डीडीयू व गया के बाद सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला स्टेशन बना डेहरी-ऑन-सोन, लेकिन सुविधाओं में कमी; नहीं है कई महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव

पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेल मंडल में यात्री किराया से विभाग को अधिक राजस्व देने के मामले में डेहरी-ऑन-सोन रेलवे स्टेशन डीडीयू व गया जंक्शन के बाद तीसरे स्थान पर है. डेहरी-ऑन-सोन स्टेशन से रेलवे को 1 अप्रैल 2022 से 31 दिसंबर 2022 तक रेलवे को 33 करोड़ 20 लाख 94660 रुपए की राजस्व की प्राप्ति हुई है, जो सासाराम और औरंगाबाद से अधिक है. यहां से यात्रियों का आवागमन भी बेहतर रहा है.

पूर्व मध्य रेलवे द्वारा जारी 30 स्टेशनों की सर्वाधिक राजस्व देने वालों की सूची में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से 1623820103 रुपए, गया जंक्शन से 1572606629 रुपए, डेहरी-ऑन-सोन से 332094660 रुपए, सासाराम से 274182611 रुपए एवं अनुग्रह नारायण रोड से 185830098 रुपए की राजस्व की प्राप्ति हुई है. वहीं, यात्रियों के कुल फुटफाल को देखा जाए तो डेहरी-ऑन-सोन स्टेशन पर 37 लाख 740, सासाराम स्टेशन पर 28 लाख 74 हजार 582 एवं अनुग्रह नारायण रोड स्टेशन पर 14 लाख 57 हजार 712 रहा है.

स्थानीय टीम डेहरीयंस, डेहरी चेंबर ऑफ कॉमर्स एवं कैट जैसी व्यवसायिक संगठन यात्रियों और व्यापार की सुविधा के लिहाज से कई महत्वपूर्ण ट्रेनों के ठहराव की मांग समय-समय पर करते रहे है, लेकिन उनकी मांगे नजरअंदाज ही रही हैं. मांगों के समर्थन में राजनीतिक दलों ने भी धरना प्रदर्शन जैसे आंदोलन खड़े किए हैं, लेकिन अब तक उनकी भी मांग ठंडे बस्ते में है. डेहरी अनुमंडल क्षेत्र व्यापारिक केंद्र के साथ ही पर्यटन के क्षेत्र में भी अहम माना जाता है. यहां से रोहतासगढ़ किला, तुतला भवानी इको पर्यटन स्थल, कशिश झरना, इन्द्रपुरी डैम सहित करीब आधा दर्जन पर्यटन केंद्रों तक पहुंचने का मार्ग सुगम है लेकिन महत्वपूर्ण ट्रेनों के ठहराव के अभाव में पर्यटकों की संख्या नगण्य बनी रहती है.

स्थानीय निवासी व टीम डेहरीयंस के अध्यक्ष चंदन कुमार एवं कैट अध्यक्ष बबल कश्यप ने बताया कि डीडीयू मंडल में सर्वाधिक राजस्व देने वाले डेहरी-ऑन-सोन जंक्शन को रेलवे द्वारा यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं अभी भी पर्याप्त नहीं मिली है. स्थानीय स्तर पर चल रहा निर्माण कार्य भी संतोषजनक नहीं रहा है. अधिकांश ट्रेनों का ठहराव डेहरी स्टेशन पर नहीं है, जबकि इससे कम राजस्व देने वाला सासाराम स्टेशन पर हैं. रेल अधिकारियों के आश्वासन के बोझ तले यात्री दबे पड़े हैं. उन्होंने बताया कि डेहरी ऑन सोन-बंजारी-पिपराडीह रेल लाइन के निर्माण की घोषणा 2008 में की गई थी. लेकिन पिछले 15 वर्षों में सिर्फ सर्वे एवं मिट्टी परीक्षण का कार्य किया गया है.

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