रोहतास: मियावाकी तकनीक से कलेक्ट्रेट में उगाया जा रहा मिनी जंगल, डीएम व डीडीसी ने किया पौधारोपण

रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम स्थित कलेक्ट्रेट परिसर में जन जीवन हरियाली अभियान के तहत जापान की तकनीक से मिनी घना जंगल उगाया जा रहा है. शुक्रवार को उक्त स्थल पर डीएम धर्मेन्द्र कुमार के नेतृत्व में पौधरोपण किया गया. साथ ही डीएम ने स्थल का निरीक्षण कर पौधारोपण के बारें में जानकारी ली.

इस कार्यक्रम में डीडीसी शेखर आनंद ने बताया कि जल जीवन हरियाली के तहत कलेक्ट्रेट परिसर में मियावाकी जापानी विधि से छोटा घना जंगल रोपित किया जा रहा है. एक ही स्थान पर 140 पौधों का रोपण किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जिले में मियावाकी जापानी विधि से प्रथम बार पौधारोपण कर छोटा घना जंगल उगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यहां के बाद जिले के अन्य जगहों पर भी मॉडल के रूप में मियावाकी जापानी विधि से पौधारोपण कर छोटा जंगल उगाया जाएगा.

यह है जापान की मियावाकी तकनीक: 2014 में बॉटनिस्ट अकीरा मियावाकी ने हिरोशिमा के समुद्री तट के किनारे पेड़ों की एक दीवार खड़ी की, जिससे न सिर्फ शहर को सुनामी से होने वाले नुकसान से बचाया जा सका, बल्कि दुनिया के सामने कम्युनिटी व घने पौधारोपण का एक नमूना भी पेश किया. इस तकनीक में महज आधे से एक फीट की दूरी पर पौधे रोपे जाते हैं। इसमें जीव अमृत और गोबर खाद का इस्तेमाल किया जाता है.

तकनीक के यह हैं फायदे: 2 फीट चौड़ी और 30 फीट पट्टी में 100 से भी अधिक पौधे रोपे जा सकते हैं. पौधे पास-पास लगने से मौसम की मार का असर नहीं पड़ता और गर्मियों के दिनों में भी पौधे के पत्ते हरे बने रहते हैं. पौधों की ग्रोथ दोगुनी गति से होती है. जहां दूर-दूर होने वाले पौधारोपण को पांच साल तक देख रेख का समय देना पड़ता है. मियावाकी तकनीक से लगे पौधे तीन साल में ही बढ़ जाते हैं. कम स्थान में लगे पौधे एक ऑक्सीजन बैंक की तरह काम करते हैं और बारिश को आकर्षित करने में भी सहायक हैं. इस तकनीक का इस्तेमाल केवल वन क्षेत्र में ही नहीं बल्कि कार्यालयों एवं घरों के गार्डन में भी किया जा सकता है.

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