रोहतास: कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न रोकने के लिए शिकायत समिति का गठन, कार्यशला में लिया गया निर्णय

रोहतास जिला मुख्यालय स्थित समाहरणालय के डीआरडीए सभा कक्ष में शुक्रवार को कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन एडीएम चंद्रशेखर प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में किया गया. जिसमें सामान्य प्रशासन विभाग के अधिसूचना के आलोक में कार्यस्थल पर महिलाओं का उत्पीड़न रोकने हेतु समितियों का गठन किया गया.

समिति में सदस्य के रूप में सीडीपीओ शिवसागर रश्मि कुमारी, आफरिन तरन्नुम प्रशासक वन स्टाफ सेंटर, नैंसी श्रीवास्तव लिपिक जिला अधीक्षक कार्यालय एवं वकील अशोक कुमार सिंह को शामिल किया गया है. अर्द्धसरकारी, गैरसरकारी, निगम, निकाय एवं अन्य कार्यस्थल जहां पर 10 से कम कर्मचारी कार्यरत हैं, वहां लैंगिक उत्पीड़न रोकने के हेतु जिला परिषद अध्यक्ष पूनम भारती की अध्यक्षता मे स्थानीय शिकायत समिति गठित की गई है. जिसमें रमि रंजन डीपीओ पदेन सदस्य तथा सुषमा कुमारी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी सासाराम तथा आफरिन तरन्नुम केन्द्र प्रशासक वन स्टाफ सेंटर सासाराम, भानु प्रताप सिंह वकील सदस्य शामिल हैं.

स्थानीय शिकायत समिति के साथ-साथ ऐसे कार्य स्थल जहाँ कर्मियों की संख्या 10 से कम है, वहां आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया जाना है. रोहतास समाहरणालय में लैंगिक उत्पीड़न रोकने हेतु नेहा कुमारी वरीय उप समाहर्त्ता रोहतास की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है. जिसके सदस्य बाल विकास परियोजना पदाधिकारी शिवसागर रश्मि कुमारी, केन्द्र प्रशासक वन स्टॉफ सेंटर सासाराम आफरिन तरन्नुम, लिपिक जिला अधीक्षक कार्यालय सासाराम नैंसी श्रीवास्तव और अंशकालीन अधिवक्ता सदस्य अशोक कुमार सिंह हैं.

बैठक में बताया गया कि शिकायत की जांच 90 दिनों के अंदर पूरी होनी चाहिए. समिति जांच प्रक्रिया खत्म होने के बाद 10 दिन के अंदर इसकी निष्कर्ष रिर्पोट नियोक्ता (मालिक ) या जिलाधिकारी के पास जमा कराएगी. नियोक्ता (मालिक) या जिलाधिकारी को मामले में अभियुक्त के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए सलाह देगी. समिति जिलाधिकारी के पास वार्षिक रिर्पोट जमा करेगी, जिससे यौन उत्पीड़न के केस की संख्या निपटाए गए मामलों की संख्या, जिन्हें अभी निपटाना है ऐसे मामलों की संख्या, यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए चलाई गई कार्यशालाओं की संख्या का जिक्र होगा. साथ ही इसमें किसी भी मामले में नियोक्ता (मालिक) या जिलाधिकारी की किसी कार्रवाई का उल्लेख किया जाना चाहिए.

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