रोहतास: स्वतंत्रता सेनानी ज्ञात व अज्ञात सम्मान समारोह एवं सांस्कृतिक संगोष्ठी का हुआ आयोजन

संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, संस्कार भारती बिहार प्रदेश एवं सामाजिक सांस्कृतिक संस्थान के मार्गदर्शन में रविवार को रोहतास जिले के गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय में जिला स्तरीय स्वतंत्रता सेनानी ज्ञात व अज्ञात का सम्मान समारोह एवं सांस्कृतिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष एवं कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह ने की. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि शंकर महाविद्यालय सासाराम के प्रधानाध्यापक महेंद्र नाथ पांडे थे.

कार्यक्रम में उपस्थित विशेष वक्ताओं में देवत्व संवर्धन चेतना संस्थान प्रज्ञा कुंज अरण्यक सासाराम के प्रबंध निदेशक एवं पूर्व वरीय सलाहकार महानिदेशक हाइड्रोकार्बंस दिल्ली के प्रेम शंकर ओझा, एसपी जैन महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ गुरचरण सिंह, शोध अन्वेषक डॉ श्याम सुंदर तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता इंदिरा एवं भोजपुरी जन जागरण अभियान के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ अवधूत राणा ने भी अपने व्याख्यान से क्रांतिवीर को सजीव किया.

कार्यक्रम में रोहतास जिले के ज्ञात एवं अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों की अमर गाथाओं पर प्रस्तुति प्रेम शंकर ओझा द्वारा की गई. डॉ गुरूचरण सिंह द्वारा जिले के स्वतंत्रता सेनानियो की वीर गाथाओ पर चर्चा की गई. सासाराम के 12 स्वतंत्रता सेनानियों पर विशेष रूप से आकर्षित किया गया, जिन्हें तोपों से उड़ा दिया गया था. डॉ श्याम सुन्दर तिवारी ने संगोष्ठी में बताया कि सतयुग एवं त्रेता युग का सिद्धाश्रम सासाराम की कैमूर पहाड़ियों का ही अंचल रहा है. महेंद्र पाण्डेय ने संस्कार पर विशिष्ट चर्चा करते हुए उपस्थित छात्र-छात्राओ को संबोधित करते हुए कहा कि वे संस्कारित जीवन के माध्यम से ही राष्ट्र के सशक्त नागरिक बन सकते है.

प्रस्तुत कार्यक्रम ‘क्रांतितीर्थ’ की अवधारणा को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ते हुए भविष्य में होने वाली युगान्तरीय चेतना प्रवाह को ध्यान में रखते हुए ॠषि प्रणीत भारतीय संस्कृति के पुन्रस्थापना की दिशा में अग्रसरित होने की प्रेरणा से ओतप्रोत था. संस्कार एवं संस्कृति को लक्षित करते हुए इस संगोष्ठी में कहा गया कि संस्कृति का संबंध मानव की अंतर्मुखी दशा से है. जिस कर्म या भाव से हमारे संस्कार सुन्दर बने, जिससे कृति का सौन्दर्य तथा दिव्यता अधिक स्पष्टता से प्रकट हो सके वही संस्कृति है.

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह ने संस्कार पर बहुत जोर दिया, जो हालांकि वैदिक अवधारणाओं पर आधारित है, पर लौकिक जीवन वही उर्जित किए हुए है. रामराज की स्थापना में भरत की प्रशंसा करते हुए उन्होंने संगोष्ठी में कहा कि विना संस्कारित जीवन को अपनाए राम राज संभव नही था. कार्यक्रम के संयोजक बृजकिशोर कहा कि यह राष्ट्रीय कार्यक्रम रोहतास जिले में पहली बार सम्पन्न हुआ. कार्यक्रम में बाल विकास एवं नारायण वर्ल्ड स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा देश भक्ति संगीत, समूह गान एवं काव्यपाठ का प्रस्तुति किया गया.

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