रोहतास के जीएनएसयू में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में देशभर जुटे है इतिहासविद्, भारी उद्योग मंत्री बोले- अपनी गौरव गाथा को सामने लाकर भारत बनेगा विश्व गुरु

बिहार में पहली बार भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना एवं जीएनएसयू जमुहार के संयुक्त तत्वाधान में द्वादश राष्ट्रीय अधिवेशन रोहतास जिले के जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में सोमवार से शुरू हुआ. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी, फिल्म निर्देशक चंद्रप्रकाश त्रिवेदी सहित कई अन्य लोग. मौजूद रहे. मंगलवार व बुधवार को कुल छह सत्र आयोजित होंगे. जिनमें प्रतिदिन तीन सत्र होंगे. जिसमें देश के कोने-कोने से आए एक हजार से भी ज्यादा इतिहास के विद्वान, विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपति, इतिहास विज्ञान एवं शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले प्रतिभागी भाग ले रहे हैं.

कार्यक्रम के आरंभ में आजादी के अमृत महोत्सव से जुड़े चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया. प्रदर्शनी में 14 अगस्त 1947 की विभीषिका और भूले बिसरे नायकों, आदिवासियों जनजातीय लोगों की भूमिका का चित्रण दर्शाया गया है. इस अवसर पर विभिन्न विद्वानों द्वारा लिखित पुस्तकों की प्रदर्शनी भी आम जनों के लिए लगाई है. इस अवसर पर इतिहासकारों द्वारा रचित कई पुस्तकों का विमोचन कार्यक्रम संपन्न हुआ. अधिवेशन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि यह संगोष्ठी भारत के प्राचीन गौरव और इतिहास को सामने लाने की कोशिश करेगा.

उन्होंने कहा कि अवधारणा किसी राष्ट्र, समाज, सोसाइटी, संस्कृति की अंतर चेतना से अनुभूति कराता है. किसी महापुरुष ने कहा था कि भारत भौगोलिक रूप से स्वतंत्र हुआ है, लेकिन सांस्कृतिक रूप से नहीं. अब वह समय आ गया है, जिसके जरिए सांस्कृतिक आंदोलन को आगे बढ़ाया जा सके. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि संगोष्ठी में मौजूद इतिहासकार वंचित और तिरोहित नायकों को सामने लाने की कोशिश करेंगे. भारत की गौरव गाथा को सामने लाएंगे ताकि स्व की अवधारणा से भारत एक बार पुनः विश्व गुरु बन सके.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी ने कहा कि अपने स्व को जागृत करके ही पुरातन संस्कृति एवं इतिहास को सही मायने में प्रस्तुत किया जा सकता है. जिस प्रकार से गैर हिंदू विचारधारा के लोगों द्वारा सैकड़ों वर्षों तक भारतीयों के संस्कृति को नुकसान पहुंचाने का काम किया है, उसका प्रतिरोध अब जाकर शुरू हुआ है और कालांतर में यही प्रयास भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने का सत्य संकल्प होगा. उन्होंने कहा कि अभी देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, लेकिन आने वाला सौवा साल कैसा हो इसे लेकर अभी से ऐसी तैयारियां चल रही है कि भारत विश्व गुरु के अपने सपने को साकार कर सके.

कार्यक्रम को जीएनएसयू के कुलाधिपति एवं पूर्व सांसद गोपाल नारायण सिंह एवं भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर देवी प्रसाद सिंह ने भी संबोधित किया. उन्होंने देशभर से आए इतिहासकारों से इतिहास लेखन के संबंध में कई सुझाव दिए. उन्होंने कहा कि इंडिया के स्थान पर भारत का प्रयोग करें. कालगणना का प्रयोग करें. इतिहास में फिलहाल मानव के क्रमिक विकास का अध्ययन किया जाता है लेकिन भौतिक और सांस्कृतिक चेतना के बगैर बिना प्राण वाले शरीर जैसा हाल होगा. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि दूसरी संस्कृति के उधार लिए शब्दों का प्रयोग नहीं करें.

पूर्व सांसद गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि भारतीय इतिहास में सिर्फ पिछले 400 सालों का इतिहास पढ़ाया जाता है, लेकिन इसके पहले के इतिहास के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है. जबकि भारत का इतिहास हजारों साल पुरानी है. मौजूद इतिहासकार उस दिशा में आगे काम करेंगे. उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश में शिक्षा का मकसद सिर्फ सेवक बनाना है. इसलिए यह सोचने का विषय है कि देश को सीखने वाले शिक्षा की जरूरत है. कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर ईश्वर चंद विश्वकर्मा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ महेंद्र कुमार सिंह ने किया. कार्यक्रम के आरंभ में संस्थान के सचिव गोविंद नारायण सिंह ने भारत सरकार के मंत्री महेंद्र नाथ पांडे को जबकि प्रबंध निदेशक त्रिविक्रम नारायण सिंह ने आर एस एस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी को अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया.

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