रोहतास: जीएनएस विश्वविद्यालय में ’21वीं सदी में मानवाधिकार एवं लैंगिक न्याय’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

लैंगिक न्याय हमारी संस्कृति के मूलाधार हैं. हमारा संविधान समानता का अधिकार प्रदान करता है, उसमें यह व्यवस्था भी है की महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष प्राविधान किए जा सकें. राष्ट्रीय चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की कुलपति न्यायमूर्ति मृदुला मिश्र ने यह बातें शुक्रवार को जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के नारायण स्कूल ऑफ लॉ के तत्वावधान में 21वीं सदी में मानवाधिकार व लैंगिक न्याय विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में कही.

उक्त सेमिनार का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सह राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह, नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति एवं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति, विख्यात गणितज्ञ डॉक्टर केसी सिन्हा, भारतीय तर्कशास्त्र अनुसन्धान परिषद के अध्यक्ष डॉ आरसी सिन्हा, चाणक्य नेशनल लॉ विश्वविद्यालय पटना की कुलपति जस्टिस मृदुला मिश्रा, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व विधि संकाय अध्यक्ष तथा पूर्व राष्ट्रीय न्याय अकादमी के अतिरिक्त निदेशक डॉक्टर डीपी वर्मा, रोहतास डालसा के अध्यक्ष एवं सासाराम के एडीजे अमित राज गोपल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एमएल वर्मा, प्रबंध निदेशक त्रिविक्रम नारायण सिंह, कुलसचिव डॉ आरएस जायसवाल एवं नारायण स्कूल ऑफ लॉ के निदेशक डॉक्टर राकेश वर्मा की ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया.

सेमिनार को उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डॉक्टर अरिजीत पसायत, पीस एंड सिक्योरिटी विश्वविद्यालय रोम की प्रोफेसर मारियनगेला बारलेटा, कैंब्रिज एजुकेशन सिंडीकेट मलेशिया की डॉ राजश्री बेनी माडू आदि ने वर्चुअल मोड में संबोधित किया. मंचस्थ वक्ताओं ने 21वीं सदी में मानवाधिकार एवं लैंगिक न्याय पर विधि के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि पिछली शताब्दियों से आज की स्थिति काफी भिन्न हो चुकी है एवं महिलाएं आज हर क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं.

वक्ताओं ने सभी के लिए समान अधिकार पर बल देते हुए कहा ऐसा होने से ही किसी भी समाज अथवा राष्ट्र का सर्वांगीण विकास संभव है. वक्ताओं ने कहा कि आर्थिक, शारीरिक, सांस्कृतिक, धार्मिक हर क्षेत्र में सभी को समानता का अधिकार देकर तथा एक दूसरे के प्रति नेक नियति की सोच रख कर ही हम आगे बढ़ सकते हैं. किसी भी परिस्थिति में मानवाधिकार एवं समानता के अधिकार का हनन नहीं होने देना एक सच्चे नागरिक का कर्तव्य होता है. मौके पर मोनिका सिंह, आयोजन सचिव डा. नर्मदा सिंह, डा. संगीता कुमारी समेत अन्य उपस्थित थे.

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