रोहतास: स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का योगदान विषय पर गोष्ठी का हुआ आयोजन, वक्ता बोले- यहां के खरवार जनजाति समुदाय ने सबसे पहले किया था तोप का निर्माण

रोहतास जिले के जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के सभा कक्ष में स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का योगदान विषय पर शुक्रवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जन जाति आयोग और अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के तत्वावधान में गोष्ठी का आयोजन किया गया. उद्घाटन आश्रम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सतेन्द्र सिंह, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह, वीसी महेंद्र कुमार सिंह एवं आश्रम के प्रांतीय संगठन मंत्री नीतीश कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलाधिपति ने कहा कि जनजाति समुदाय को भी जानकारी हो कि देश के लिए मेरा भी योगदान है. जनजाति समुदाय प्रकृति पुत्र है. जो सदैव धर्म, संस्कृति देश की सुरक्षा में अपना योगदान दिए है. हमारे दोष के कारण ये हमसे दूर हुए हैं. इन्हें समाज के अगली पंक्ति में लाना हमारा नैतिक जिम्मेवारी है. गोष्ठी से भूत, वर्तमान और भविष्य पर चिंतन होता है. इसलिए इस प्रकार के आयोजन होते रहना चाहिए.

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि खरवार, चेरो उरांव राजवंशों ने भी यवन, मुगल और अंग्रेज के विरुद्ध लड़ाई लड़ी. देश संस्कृति के लिए संबोधित करते हुए पुरातत्वविद सह इतिहासकार श्याम सुंदर तिवारी ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में शाहाबाद के जनजाति समुदाय की अहम भूमिका रही है. नीलांबर पीतांबर समेत कई जनजाति नायकों की शरणस्थली रोहतासगढ़ किला रहा है. यहां के खरवार जनजाति समुदाय ने सबसे पहले तोप का निर्माण किया था. जिसका उल्लेख अंग्रेज अधिकारी रेट्रे ने अपने पत्र में किया था. 1857 से 1942 के क्रांति में जनजाति नायक गोवर्धन गोड़, किसून खरवार, महावीर खरवार, गेगा खरवार समेत दर्जनों ने अपनी शहादत दी है. विदेशी अक्रांता मुगलों के विरुद्ध भी जनजाति वीरो ने लड़ाई लड़ी है.

सभी अतिथियों को प्रांतीय महामंत्री अजय नारायण, जिला कोषाध्यक्ष भूपेंद्र नारायण सिंह, मंत्री प्रेम कुमार पाठक, उपाध्यक्ष संजीव गुप्ता, महेंद्र पासवान, महेंद्र प्रताप सिंह ने अंगवस्त्र और तुलसी पौधा देकर स्वागत किया. कार्यक्रम में देश के आजादी के संग्राम में बलिदान देने वाले जनजाति वीरों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी. कार्यक्रम की व्यवस्था प्रांतीय संरक्षक डोमा सिंह खरवार, राम लाल उराव, रवि उरांव समेत गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय परिवार शामिल था.

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