रोहतास जिले के युवाओं ने पूरे कोरोना काल में अपने सामाजिक कार्यों के बदौलत मिसाल पेश की है. चाहे वह लॉकडाउन के दौरान गरीब व असहयोग की मदद करके की हो या फिर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत लोगों को जागरूक कर. इन सबके बीच जिले के युवाओं व चिकित्सा कर्मचारियों ने कोविड-19 के वैक्सीन के लिए वॉलेंटियर बन अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का पालन भी किया है.
जहां एक ओर कोरोना वायरस व उसके वैक्सीन को लेकर लोगों में भ्रांतियां व अफवाह फैली हुई थी. वहीं, इन युवा वॉलेंटियर्स ने वैक्सीन ट्रायल में अपना सहयोग देकर भ्रांतियों को गलत साबित किया है. यूनिसेफ रोहतास के राकेश कुमार ने बताया कि किसी भी परिस्थिति में देश के युवा वर्ग की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है. कोविड-19 को लेकर जहां एक ओर पूरा विश्व जूझ रहा है, वहीं हमारे देश के वैज्ञानिकों ने स्वदेशी वैक्सीन का निर्माण कर हमें गौरवान्वित किया है. लेकिन, बिना ट्रायल के कोई भी वैक्सीन लोगों को नहीं दी जा सकती. इसलिए उन्होंने वैक्सीन ट्रायल के लिए वॉलेंटियर बनना स्वीकार किया. वैक्सीन का पहला डोज लेने के 28 दिन बाद दूसरा डोज लेना है. पहले डोज के लेने के बाद किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हुई है.
संझौली के युवा समाज सेवी अजीत पटेल ने भी सोमवार को पटना एम्स में जाकर वैक्सीन ट्रायल में अपना योगदान दिया है. उनका कहना है कि स्वदेशी वैक्सीन ट्रायल का हिस्सा बनने के बाद वह काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. अजीत ने बताया कि वैक्सीन को लेकर काफी अफवाह सुनने को मिल रही थी, जिसे लेकर उन्होंने डीपीएम अजय कुमार सिंह से इस बात की चर्चा की. तत्पश्चात अजीत ने वैक्सीन ट्रायल में वॉलेंटियर बनने पर सहमति जताई.
सिविल सर्जन डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि जिले से अभी तक जिले में कुल 50 लोग वैक्सीन ट्रायल के लिए आगे आए है. जिसमें जिले के युवा, स्वास्थ्य कर्मी व शिक्षाकर्मी शामिल है. वैक्सीन ट्रायल का पहला डोज लेने के बाद सबकी निगरानी की गई. किसी भी फ्रंटियर योद्धा को कोई परेशानी या साइड इ़फेक्ट का सामना नहीं करना पड़ा. उन्होंने कहा कि वैक्सीन ट्रायल के लिए कोई भी जिसकी उम्र 18 साल से ऊपर हो और उसे कोविड का संक्रमण नहीं हुआ हो वह मोबाइल नंबर 9471408832 या 9919688888 पर फाेन कर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. सीएस ने कहा कि इच्छुक व्यक्ति सिविल सर्जन कार्यालय या जिला प्रतिरक्षण कार्यालय में भी से संपर्क कर सकता है. स्वास्थ्य विभाग उन्हें पटना एम्स भेजने तथा वापस लाने की व्यवस्था करेगा. बताए गए समय पर वह पटना एम्स जाकर ट्रायल कर सकते हैं. इसके लिए हर वालंटियर को आने जाने के खर्च के रूप में 750 रुपए भी दिए जा रहे हैं. पटना एम्स ने लोगों से अधिक से अधिक की संख्या में आकर ट्रायल देने की अपील की है.