रोहतास जिला के कैमूर पहाड़ी स्थित देश के सबसे पुराने किलों में सुमार रोहतासगढ़ किला तक जाने को रोपवे निर्माण के आसार जग गए हैं. रोहतास प्रखंड मुख्यालय के पास उचैला से रोहतासगढ़ किला के चौरासन मंदिर तक रोपवे का निर्माण होगा, जबकि चौरासन मंदिर से रोहतासगढ़ किला तक पांच किमी लंबी सड़क का निर्माण कराया जाएगा. सरकार ने 2012 में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 1500 फीट की ऊंचाई पर स्थित रोहतासगढ़ किला तक जाने के लिए रोपवे के निर्माण का फैसला लिया था. इसके लिए 12 करोड़ 65 लाख रुपये की राशि भी स्वीकृत की गई है. जानकारी के मुताबिक राइट्स ने रोपवे निर्माण का डीपीआर तैयार किया है. अब तक यह मामला कैमूर वन्य अभ्यारण्य के चलते केंद्रीय वन मंत्रालय में एनओसी के पेंच में फंसा था, जिससे इसके निर्माण में विलंब हो रहा था. आपको बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2012 में रोहतास किला का भ्रमण कर इसके विकास करने की घोषणा की थी. उसके बाद क्षेत्र के लोगों में यहां पर्यटन विकास की संभावनाएं नजर आने लगी थीं. अब जाकर एनओसी की आवश्यक प्रक्रिया पूरी हुई है. हालांकि सात माह पूर्व ही केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय रोपवे व चौरासन मंदिर से किला तक सड़क निर्माण में उपयोग होने वाली वन भूमि के बदले में अन्य भूमि वन विभाग को देने के लिए पत्र भेजा था.
ज्ञात हो कि इसी माह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रेहल में रोहतास किला पर रोपवे निर्माण की बात कहे थे. इससे पहले 14 फरवरी को मुख्यमंत्री के सासाराम आगमन पर रोपवे निर्माण की भी समीक्षा की गई थी, जिसमें केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय के आपत्तियों का निराकरण करने का निर्देश दिया गया था. इसके बाद जिला प्रशासन सक्रिय हुआ. रोपवे निर्माण में उपयोग होने वाली वन भूमि की जगह बिहार सरकार की 1.33 हेक्टेयर भूमि वन विभाग को हस्तांतरित की गई है. चौरासन मंदिर से रोहतास किला तक जाने के लिए जिला परिषद का आठ से 16 फीट चौड़ी पहाड़ी भूमि पर सड़क निर्माण का प्रस्ताव भी मंत्रालय को वन विकास समिति से पारित करा कर भेजा गया है.
बता दें कि रोहतासगढ़ किला पर रोपवे व सड़क निर्माण की कवायद एक दशक से चल रही है. 2008 में तत्कालीन एसपी विकास वैभव ने कैमूर पहाड़ी पर नक्सल उन्मूलन के लिए सरकार को रोहतास से अधौरा तक सड़क निर्माण कराने व रोपवे निर्माण कर पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रस्ताव भेजा था. एसपी की सोच थी कि पर्यटन के विकास से क्षेत्र में नक्सलवाद, बेरोजगारी व श्रम शक्ति का पलायन रुक सकता है. 14-15 जून 2010 को उन्होंने डालमियानगर के बंगाली क्लब में रोहतास किला के आसपास के गांवों के 80 युवकों को टूरिस्ट गाइड का प्रशिक्षण दिया था. उन्हें साइकिल व टॉर्च भी उपलब्ध कराए गए थे. आज भी वे युवक वहां जाने वाले पर्यटकों का सहयोग कर रहे हैं. लेकिन विकास वैभव के यहाँ से जाने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
केंद्र में एनडीए सरकार का गठन के बाद रोपवे निर्माण को ले एक बार फिर कवायद शुरु हुई. पीएम नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्री जुवेल उरांव को 2015 में वायु सेना के हेलीकाप्टर से रोहतास किला पर भेजा था. उस समय उरांव ने वादा किया था कि सड़क व रोपवे को जल्द एनओसी मिलेगा. वे अगली बार सड़क मार्ग से ही रोहतास किला आएंगे. उनके आश्वासन अब धरातल पर उतरने लगे हैं. उनके द्वारा पहले रोहतास से अधौरा तक सड़क निर्माण का एनओसी दिया गया. जिससे सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है.
आपको मालूम होना चाहिए कि रोहतास जिले का रोहतास और नौहट्टा प्रखंड का इलाका रोपवे से आजादी के पहले से ही परिचित है. जब जपला सीमेंट कारखाना का आगाज हुआ था. वहां कच्चा माल नौहट्टा प्रखंड के बौलिया क्वायरी से जाता था. इस माल ढुलाई का रोपवे ही इकलौता साधन था. इलाके के लोगों को यह आज भी स्मरण में है कि कैसे रोपवे काम करता है. इससे सिर्फ सीमेंट के लिए चुना पत्थर ही नहीं बल्कि मजदूरों के लिए पैसे भी आदमी लेकर इसी रोपवे से आता जाता था. वह कंपनी का ही कर्मी हुआ करता था. आज इलाके में इसे झुला या झुलन कहा जाता है.
वही रोपवे निर्माण के बारे में एसडीएम पंकज पटेल ने बताया कि “रोपवे निर्माण की सारी बाधाओं को दूर कर प्रस्ताव प्रखंड व अनुमंडल प्रशासन द्वारा वन विकास समिति से पारित करा कर भेज दिया गया है. चौरसन मंदिर से किला तक पहाड़ी पर उपलब्ध जिला परिषद की भूमि का प्रस्ताव भी एनओसी के लिए भेजा गया है.”