जून के शुरुआत में भीषण गर्मी से परेशान लोगों को थोड़ी राहत मिली है. मौसम भी इन दिनों अलग-अलग रंग दिखा रहा है. भीषण गर्मी की मार झेलने के बाद गुरुवार शाम से रोहतास का मौसम सुहाना बना हुआ है. गुरुवार देर रात से शुक्रवार दिनभर रुक-रुक कर हुई बारिश से हवा में ठंडक सी घुल गई. आज शाम जैसे ही बारिश की बूंदें थमीं तो डिहरी के आसमान पर इंद्रधनुषी छटा बिखर गई. इंद्रधनुष की सतरंगी छटा देख डेहरीवासियों का मन खिल उठा. आइए जानते हैं, आखिर कैसे बनता है इंद्रधनुष.
इंद्रधनुष एक मौसम संबंधी घटना है. इंद्रधनुष पानी की बूंदों में प्रकाश के परावर्तन, अपवर्तन और फैलाव के कारण बनने वाला एक संयोजन है. इन प्रक्रियाओं के फलस्वरूप आकाश में प्रकाश का एक स्पेक्ट्रम यानी सतरंगी छटा दिखाई देती है. यह बहुरंगी गोलाकार चाप का रूप ले लेता है. इंद्रधनुष में सात रंग समाहित होते हैं, जिन्हें शॉर्ट में हिंदी में ‘बैनीआहपीनाला’ और अंग्रेजी में VIBGYOR के रूप में जाना जाता है.
- बै- बैगनी
- नी- नीला
- आ- आसमानी
- ह- हरा
- पी- पीला
- ना- नारंगी
- ला- लाल
प्राथमिक या मुख्य इंद्रधनुष और दोहरा इंद्रधनुष. प्राथमिक इंद्रधनुष में बाहरी भाग पर अर्ध गोला लाल दिखाई देता है जबकि अंदर की ओर बैंगनी चाप होती है. दोहरे इंद्रधनुष में, प्राथमिक चाप के बाहर एक दूसरा चाप भी दिखाई देता है, और इसके रंगों का क्रम उल्टा होता है, जिसमें चाप के अंदरूनी हिस्से पर लाल रंग होता है. आकाश में इंद्रधनुष आमतौर पर पश्चिम की ओर सुबह के समय और पूर्व की ओर शाम के समय देखा जाता है. जानकारों के मुताबिक, जब आधे आकाश में बारिश के बादलों के साथ थोड़ा अंधेरा होता है, तब शानदार इंद्रधनुष दिखता है. रविवार को दिल्ली एनसीआर में कुछ हद तक ऐसा ही नजारा दिखा.