एसपी जैन कॉलेज में एनएसएस का सात दिवसीय कैंप शुरु, पहले दिन कूड़ा प्रबंधन के लिए निकाली जागरुकता रैली

सासाराम शहर स्थित शांति प्रसाद जैन महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना का सात दिवसीय कैंप गुरुवार से शुरु हो गया हो गया. इन सात दिनों में एनएसएस के छात्र-छात्राएं कैंप की सभी गतिविधियों और प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे. कैंप का उद्देश्य छात्राओं में समाजसेवा और समाज की जरूरतों के प्रति जागरुकता लाना है.

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एनएसएस कैंप का उद्घाटन एनएसएस के वीर कुंवर सिंह क्षेत्रीय समन्वयक राजीव पांडेय, कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गुरुचरण सिंह, हिन्दी के विभागाध्यक्ष डॉ. रौशन कुमार, कॉलेज संघ के अध्यक्ष प्रकाश तिवारी, एनएसएस के जिला नोडल पदाधिकारी रंजीत पांडेय, राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. अलाउद्दीन अजीजी, शिक्षक संघ के सचिव डॉ. राजेंद्र प्रसाद व इतिहास के डॉ.राम प्रवेश शर्मा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया.

सात दिवसीय शिविर की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ. गुरूचरण सिंह ने कहा कि अगर युवा चाह लें तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं. उन्होंने कहा कि एनएसएस का गठन ही छात्रों में समाजसेवा व राष्ट्रसेवा की भावना भरने के लिए किया गया था. क्षेत्रीय समन्वयक राजीव पांडेय ने बताया कि राष्ट्रीय सेवा योजना की शुभारंभ 1969 में महात्मा गांधी की जयंती के 100वें वर्ष में की गई थी. तब से ही इससे जुड़े स्वयंसेवक राष्ट्र समाज व देश के निर्माण में अहम योगदान दे रहे हैं. एनएसएस कैंप के पहले दिन पहले सत्र में उद्घाटन समारोह हुआ. जहां एनएसएस की कार्यप्रणाली व इसके उद्देश्यों से स्वयंसेवकों, छात्रों व कॉलेज के अधिकारियों-प्राध्यापकों को परिचित कराया गया.

वहीं द्वितीय सत्र में एनएसएस के स्वयंसेवको ने एनएसएस के जिला नोडल पदाधिकारी रंजीत पांडेय के नेतृत्व में एसपी जैन कॉलेज द्वारा गोद लिए गए गांव तारगंज में कूड़ा प्रबंधन को लेकर जागरूकता अभियान चलाया. जहां लोगों को स्वच्छता के प्रति प्रेरित करते हुए बताया गया कि शौचालय का प्रयोगकर अपने सहित परिवार वगांव के लोगों को स्वस्थ्य रखें. सात दिवसीय एनएसएस कैंप में प्रतिदिन कुछ नई गतिविधियां स्वयंसेवकों द्वारा संचालित की जाएंगी. एनएसएस द्वारा आयोजित हो रहे इस सात दिवसीय कैंप के सफल आयोजन में स्वयंसेविका जया पांडेय, स्वयंसेवक प्रत्युष बघेल, नीतीश मिश्रा, चंदन सोनी, प्रशांत कुमार, ओंकारनाथ समेत कई स्वयंसेवकों का अहम योगदान रहा.

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