लॉकडाउन की वजह से परदेश में फंसे बिहार के श्रमिकों का आने का सिलसिला जारी है. श्रमिकों का पिछले 15 दिनों से श्रमिक स्पेशल ट्रेन से बिहार लौट रहे है. इसी कड़ी में आज 1871 लोगों को लेकर पहली बार श्रमिक स्पेशल ट्रेन सवा दस बजे सासाराम रेलवे स्टेशन पहुंची. गौतमबुद्ध नगर के दादरी से श्रमिकों को लेकर सासाराम पहुंची इस ट्रेन में सवार लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करते हुए ट्रेन से उतारा गया.
स्टेशन पर स्थानीय प्रशासन के लोगों ने श्रमिकों का स्वागत किया. उसके बाद उनकी स्क्रीनिंग करने के बाद बसों से अलग-अलग क्वां सेंटरों पर भेजा गया है. साथ ही जो आसपास के जिला के हैं. ऐसे श्रमिकों को बसों से ही उन जिलों में भेजा गया है. वहीँ ट्रेन से उतरते ही यात्रियों ने जमीन पर सिर रख कर अपनी धरती का अभिवादन किया एवं अपनी जन्मभूमि को चूम लिया. इस ट्रेन से कई छात्र-छात्राएं भी अपने अपने घर पहुंचे हैं. वहीं नगर परिषद, सामाजिक संस्थाओं एवं पुलिस-पब्लिक एसोसिएशन ने सभी लोगों को जलपान कराया.
दादरी से आये लोगों ने बताया कि उन्हें ट्रेन का किराया नहीं देना पड़ा है. साथ ही रास्ते में खाने-पीने की भी व्यवस्था नि:शुल्क की गई. इन यात्रियों ने कहा कि पिछले डेढ़ महीने से वे परदेश में फंसे हुए थे. हर दिन बस वे यही सोचते रहते थे कि किसी तरह से अपने घर पहुंच जाए. स्क्रीनिंग करने के बाद ही उन्हें जलपान उपलब्ध कराया गया. वहीं छात्रों ने कहा कि उनके लिए यह खुशी का क्षण है कि सभी सुरक्षित अपने घर पहुंच गए हैं. लॉकडाउन के दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. अब बिहार आकर काफी राहत महसूस कर रहे हैं.
इस ट्रेन में रोहतास जिले के अलावे भोजपुर, कैमूर, औरंगाबाद, बक्सर, पटना, गया, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, हाजीपुर, छपरा, सिवान, बेतिया, सहरसा, सुपौल, मोतिहारी, मधुबनी, गोपालगंज, भागलपुर, समस्तीपुर, बेगुसराय, खगड़िया, अरवल के श्रमिक सासाराम स्टेशन पर उतरे.
मौके पर एसडीएम राजकुमार गुप्ता, कार्यपालक दंडाधिकारी चंद्रमा राम, स्टेशन प्रबंधक उमेश कुमार, आरपीएफ इंस्पेक्टर पीके रावत, जीआरपी इंस्पेक्टर रामप्रबोध यादव समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे.
वहीं जिला प्रशासन के लिए उस वक्त परेशानी के सबब बन गया जब ट्रेन से उतरे प्रवासी मजदूरों में से कई दूसरे जिले के मिले. यूपी के गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी द्वारा रोहतास डीएम को सौंपी गई सूची व प्रवासियों के भौतिक मिलान में काफी अंतर मिला. यहां उतरे वैसे श्रमिकों की संख्या भी काफी रही, जो बिहार के दूसरे जिले के थे. लेकिन सूची में उनका नाम रोहतास जिला दर्ज था. बहरहाल श्रमिकों को उनके गृह जिले तक भेजने के लिए प्रशासन को गाड़ियां भी बढ़ानी पड़ी.