पर्यटन विभाग के सौजन्य से जिला प्रशासन के तत्वावधान आयोजित दो दिवसीय शेरशाह महोत्सव का समापन 22 मई की देर रात हो गया. सोमवार को मुख्य कार्यक्रम का आयोजन शाम सात बजे से जिला मुख्यालय सासाराम के न्यू स्टेडियम में किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन राज्य के पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार ने किया. मौके पर डीएम पंकज दीक्षित, एसपी सत्यवीर सिंह, पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद मौजूद थे. कार्यक्रम के आरंभ में आगंतुक कलाकारों को सम्मानित किया गया. उसके बाद डा. ममता जोशी के सूफीयाना गीतों और डॉ. नवनीत सिंह नीतू ने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया. इसके पूर्व महोत्सव का प्रारंभ सुबह में प्रभात फेरी के साथ हुआ था. एक स्कूली छात्रा ने प्रभात फेरी को झंडी दिखा प्रभातफेरी को रवाना किया. प्रभात फेरी समाहरणालय से निकल रौजा रोड हाेते हुए समाहरणालय पहुंची एवं पुन: गंतव्य स्थान पर लौटी.
दोपहर में ओझा टाउन हॉल में शेरशाह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. वहीं फजलगंज स्थित मल्टीपर्पस हॉल में जिलास्तरीय बैडमिंटन प्रतियोगिता का अायाेजन किया गया. प्रतियोगिता में जिले के विभिन्न प्रखंडों से चयनित बालक तथा बालिका वर्ग के 109 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. बालिका वर्ग के एकल मुकाबले में साक्षी रानी ने प्रिया राज को पराजित किया. युगल स्पर्धा में साक्षी व भारती की जाेड़ी ने सोलंकी व कोमल की जोड़ी को मात दे जीत दर्ज किया. बालक वर्ग में सीनियर वर्ग में अजीत ने निरंजन को हराकर विजय परचम लहराया. देर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ. जिसमें देश की मशहूर सूफी गायिका डॉ. ममता जोशी व पटना की रहने वाली प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ नवनीत कुमारी नीतू के गीतों के अलावा नालंदा के लोकनृत्य की प्रस्तुति देखने के लिए दर्शकों की भीड़ जुटी रही.
शेरशाह महोत्सव में भी स्वच्छ भारत बनाने की झलक दिखी. उद्घाटन के दौरान मुख्य अतिथि व राज्य के पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार ने अधिकारी से लेकर आमलोगों को खुले में शौच नहीं करने की शपथ दिलाई. मंत्री के अलावा डीएम पंकज दीक्षित, एसपी सत्यवीर सिंह, पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद समेत कई अन्य ने भी शपथ ली.
लोगों ने एक स्वर से कहा कि, ‘स्वयं स्वच्छ रहेंगे व दूसरों को भी स्वच्छ रखेंगे. घर-आंगन व गांव को स्वच्छ रख उसे सुंदर बनाने का कार्य करेंगे. इधर-उधर न तो कचरा फेंकेंगे न दूसरों को फेंकने देंगे. शौच करने के बाद व खाना खाने से पहले हाथ को साबुन से धोएंगे व बच्चों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे.’
उद्घाटन उपरांत नालंदा के लोक कलाकारों की प्रस्तुति ने बिहार की सभ्यता, संस्कृति, संस्कार व लोक परंपरा का जीवंत उदाहरण पेश किया. महेंद्र के नेतृत्व में कलाकारों ने गांव की मिट्टी से जुड़े लोक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों के दिल को जीता. लगभग दस मिनट की इस प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने अभिनय के माध्यम से साझी शहादत, साझी विरासत व गंगा-जमुनी संस्कृति को जीवंत किया. इस प्रस्तुति पर दर्शकों की तालियां भी खूब बजीं.
इसके बाद मंगल के दाता भगवान गणेशा की वंदना से अपने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डॉ नवनीत कुमारी नीतू ने पारंपरिक लोक गीतों की झड़ी लगाते हुए ऐसा इंद्रधनुषी माहौल बनाया कि श्रोता गण वाह-वाह कर उठे. उसके बाद शुरू हुई गीत-संगीत के सुरों की महफिल. नीतू ने जिस धरा पर हमने जन्म लिया, वही हमारा मान है, ऐ बिहार की धरती तुझ पर जीवन कुर्बान है.. के माध्यम से बिहार के गौरव गाथा श्रोताओं को सुनाई. इसके बाद उन्होंने अपनी प्रस्तुति में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ व नारी सशक्तीकरण अभियान को जन-जन तक पहुंचाने का संदेश दिया. उन्होंने या रब हमारे देश में बिटिया का मान हो, जेहन में बेटों जितना ही बेटी की शान हो, इज्जत बची रहे सभी बिटिया के मुल्क में, जैसे गीतों के माध्यम से लड़कियों को पढ़ाने व दहेज जैसी कुरीति को मिटाने का आह्वान किया.
इनके बाद पंजाब की रहने वाली प्रसिद्ध सूफी गायिका डा. ममता जोशी ने कार्यक्रम में समां बांधा. उनकी जादुई आवाज से श्रोता सराबोर हो गए. अपनी डेढ़ घंटे की प्रस्तुति में डाँ ममता जोशी ने पंजाबी, हिंदी, उर्दू से ले भोजपुरी तक के गीत प्रस्तूुत किया. अमीर खुसरो, संत कबीर, मीरा बाई, मिर्जा गालिब तक के गीत गजल को प्रस्तुत किया. डॉ. ममता जोशी ने कहा कि, सासाराम की धरती पर भोजपुरी में गीत नहीं गाया तो क्या गाया. उन्होंने शारदा सिन्हा के कई गीतो को प्रस्तुत किया. पनिया के जहाज पर पलटनिया लेने बानी पिया, सजन मिलल मोहे लरकईयां मैं क्या करुं, नजर लागी राजा तोरे बंग्ले पर जैसे गीतों का श्रोताओं ने खूब आनंद उठाया. जिसमें जाने वाले हमारी महफिल से, साथ चांद-तारे को भी लेते जा.., दर्शकों को मंत्र मुग्ध करा दिया. यहां तक सूफी गायिका की इस गीत पर अधिकारी भी ताली बजाते रहे. कार्यक्रम की प्रस्तुति के क्रम में मीर तकी मीर से ले राहत इंदौरी, कुमार विश्वास के शेर को प्रस्तुत कर माहौल साहित्य-संगीत से ओत-प्रोत कर दिया. इसके बाद फिर से नवनीत कुमारी नीतू ने भोजपुरी गीत प्रस्तुत किया.
दो दिवसीय शेरशाह महोत्सव के अंतिम दिन कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. जिसमें देश के कई नामचीन कलाकार शामिल हुए. अंतिम दिन के कार्यक्रम की शुरुआत लोक कलाकार बाबा क्रांति की गणेश वंदना से हुई. देर रात तक चले सांस्कृतिक कार्यक्रम में रंग सेतु की टीम आकर्षण का केंद्र रही. बच्चियों की इस पांच सदस्यीय टीम ने विभिन्न सूफीयाना गीत से दर्शकों का मनमोहा. ईशिका चौहान के नेतृत्व में टीम के कलाकारों ने मैं तो पिया संग नैन लड़ाई रे, तु माने या ना माने दिलदारा, असादे तेनु रब मनाया सहित अन्य गीत पर खूब वाहवाही लूटी. वहीं सूफी कलाम दमा दम मस्त कलंदर पर दर्शकों की तालियों से महफिल भी गूंज उठा.
उसके बाद लोक गायिका उषा सिंह उजरे बगिया में, पिपरों न शोभे, कोयल बिना बगिया न शोभे, दमा दम मस्त कलंदर सहित अन्य गीत प्रस्तुत की गई. वहीं चांदनी आर्या की पूरबी माटी में मिलल जाता चढ़ल जवनियां.. दर्शकों को झूमने पर विवश कर दिया. वहीं छोटी द्वारा शराबबंदी पर प्रस्तुत जीना है तो पापा शराब मत पीना गीत सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए जागरूकता पैदा की.
इसके अलावा मुशायरा भी आयोजित किया गया. जिसमें देर रात तक शेरों शायरी की बौंछार होती रही. वहीं जिले के चेनारी प्रखंड के सदोखर निवासी आकाशवाणी पटना के सुप्रसिद्ध तबला वादक सत्यनारायण सिंह सूरदास ने अपनी वादन कला से श्रोताओं को विभोर कर दिया. 70 वर्ष की उम्र में भी इस नेत्रहीन कलाकार के स्लो तबला वादन पर श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे. आसमान से बरसते पानी की आवाज, टमटम में घोड़े की टाप, तबले से निकल रही घुंघरु की झंकार समेत स्लो वादन में विविध कला से भरपूर आवाज पर पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा. सांस्कृतिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए भारत सरकार से पुरस्कृत इस तबला वादक की प्रस्तुति का हर कोई कायल रहा.
साथ ही अंतिम दिन शेरशाह महोत्सव को ले आयोजित बैडमिंटन प्रतियोगिता के विजेता व उपविजेता प्रतिभागी को पुरस्कृत किया गया. डीएम पंकज दीक्षित व अन्य अधिकारियों ने विजेताओं को ट्रॉफी व प्रमाणपत्र दिया. बता दें कि स्टेज एवं अन्य तैयारी इंवेंट मैनेजमेंट कंपनी द्वारा की गई थी. मुख्य स्टेज सासाराम स्थित शेरशाह मकबरा के थीम पर बना था. जिसका बैकड्राप पूरा माहौल शेरशाह कर रहा था. कई बड़े-बड़े स्क्रीन भी लगाए गए थे. जिससे दूर से भी स्टेज को देखा जा सकता था.