अदरा में हर दिल अजीज दालपूरी-खीर व आम

अदरा या आद्रा को जीवनदायी नक्षत्र माना गया है. इस नक्षत्र से धरती में नमी आने लगती है. इसी नक्षत्र से कृषि कार्य का श्रीगणेश भी होता है. किसान भी मानते हैं कि आद्रा में जिस फसल की बोआई होती है उसे कीड़े तक नहीं काटते. 22 जून से शुरू हुआ यह नक्षत्र छह जुलाई तक रहेगा. बता दें कि आद्रा का सामान्य अर्थ नमी होता है, जो धरती पर जीवन के लिए जरूरी है. जब गर्मी चरम पर हो, लोग बाग परेशान हों ऐसे में आद्र से बना आद्रा नक्षत्र बहुत कुछ अपने साथ लेकर आता है. बिहार में मानसून के आने का समय होता है, वर्षा की आहट गर्मी की तपस को कम करती है और किसान फसल का पूर्वानुमान कर लेते हैं.

यह मौसम बिहार के खास जायके का भी होता है. हर घर में इस नक्षत्र में एक ना एक दिन दाल भरकर पूरी बनती है, दालपूरी के साथ खीर भी बनता है और साथ में होता है रसीले आम. इसके साथ आलू की रसेदार सब्जी जायके को बेहद खास बना देती है. बिहार में आद्रा नक्षत्र के दौरान इस जायके को बनाने और खाने की परंपरा सैकड़ो सालों से अनवरत जारी है. यह हमारी उत्सव धर्मिता को भी बयान करता है.

आद्रा नक्षत्र में धान का बिचड़ा

जानकर बताते हैं कि इस नक्षत्र के दौरान बारिश का आगमन हो जाता है. रोहन नक्षत्र में डाले गए धान के बिचड़े बड़े होने लगते हैं. ऐसे में बारिश का महत्व बढ़ जाता है. कृषि कार्य की संभावना बलवती होने लगती है. बारिश को लगातार बनाए रखने घरों में दलपुड़ी खीर और आम का भोग वर्षा के देवता इंद्रदेव को लगाया जाता है. कामना की जाती है कि बरसात यूं ही हमारे यहां होते रहे ताकि बेहतर कृषि कार्यों से घरों में अनाज रूपी लक्ष्मी समृद्धि आती रहे.

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