बिहार की बेटी श्रेयसी सिंह ने राष्ट्रमंडल खेल-2018 में आज भारत को 12वां स्वर्ण पदक दिलाई। श्रेयसी सिंह राष्ट्रमंडल खेल यानी कॉमनवेल्थ गेम में स्वर्ण पदक जीतने वाली बिहार की पहली महिला है। बात 2014 की है। ग्लासगो में कॉमनवेल्थ गेम्स चल रहे थे। बिहार के जमुई से 12 किमी दूर गिधौर नाम का एक गांव है, वहां अचानक हलचल बढ़ गई। इसका कारण था, यहां की बेटी श्रेयसी सिंह को कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक हासिल हुआ था। श्रेयसी के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. दिग्विजय सिंह का ये सपना था कि उनके गांव में एक रायफल रेंज बने। दादा की भी इसमें रुचि थी। पिता वर्षों तक नेशनल राइफल एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। कॉमनवेल्थ में श्रेयसी की जीत इसलिए भी मायने रखती थी, क्योंकि 2010 में दिग्विजय सिंह कॉमनवेल्थ खेलों में ही गए थे और फिर कभी लौटकर नहीं आए। वहीं पर उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ, सेंट थॉमस अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन उन्होंने प्राण त्याग दिए थे। 2008 में ही श्रेयसी अपने खेल से अपना हुनर साबित कर चुकी थीं। इसके बाद भी 2009 में ये कहा जा रहा था कि श्रेयसी को पिता के प्रभाव के कारण स्थान मिला है। हालांकि वर्ष 2009 में वे सफलता हासिल नहीं कर पाई थीं, लेकिन चार साल बाद ही उन्होंने सबका मुंह बंद कर दिया। जबकि वास्तविकता ये है कि जब श्रेयसी नौवीं में थी, तब पिता से कहा कि मैं भी शूटिंग करना चाहती हूं। तो पिता ने कहा कि मैं ऐसे कोई सपोर्ट नहीं करूंगा, जिस तरह से दूसरे बच्चे आते हैं वैसे ही तुम योग्य हो, फिर प्रतिस्पर्धा में भाग लो। तब श्रेयसी ने अपने स्तर पर ही तैयारी की। श्रेयसी अपनी सफलता का श्रेय अपनी माँ और कोच को देती हैं। उनके अनुसार कोच पीएस सोढ़ी ने उनकी टेक्निक सुधारी। अब वे नेशनल चैम्पियनशिप में भी गोल्ड हासिल कर चुकी हैं। अब वे पिता के सपने को पूरा करने में लगी हैं। कॉमनवेल्थ गेम में स्वर्ण पदक जीतकर गिद्धौर के साथ ही साथ बिहार और देश का अभिमान बढ़ाया है। बिहार के इस बेटी ने उन हजारों बेटियों के लिए आदर्श भी कायम किया है जो घर के चूल्हा चौका और बर्तन मांजने की परंपरा को छोड़कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी चमक बिखेरने उतावली है।
आपको बता दें कि रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम में ‘सम्मान सह उद्घाटन’ समारोह में श्रेयसी सिंह ने “2018 राष्ट्रमंडल खेल में अपने इतिहास को बेहतर तरीके से दोहराने का यकीन दिलाई थीं और आज साकार हुआ. वही स्वर्ण पदक विजेता श्रेयसी सिंह को सामाजिक संस्था पहल स्वर्ण मुकुट पहना सम्मानित करेगा। पहल के अध्यक्ष अखिलेश कुमार ने कहा है कि वर्ष 2014 में रजत पदक जीतने के बाद पटना के तारामंडल सभागार में चांदी का मुकुट पहनाकर सम्मानित किया गया था उसके बाद ओलम्पिक में रजत पदक जीतने के बाद रोहतास जिले में भी सम्मानित किया गया था। इस बार स्वर्ण पदक विजेता बनने पर स्वर्ण मुकुट पहनाकर सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि, 18 अगस्त 2014 को पटना के सम्मान समारोह में पहल ने यह घोषणा की थी कि यदि 2018 के कॉमनवेल्थ गेम में वह स्वर्ण पदक विजेता बनेगी, तो पहल स्वर्ण मुकुट पहनाकर सम्मानित करेगा। श्रेयसी सिंह ने भी स्वर्ण पदक विजेता बनने का भरोसा दिया था और वह उस पर खरा उतरी है।