सासाराम में नगर थानाध्यक्ष को 2 दिन की जेल, 18 साल पुराने मामले में लापरवाही बरतने पर कोर्ट ने दिया आदेश

सासाराम में कोर्ट ने एक मामले में नगर थानाध्यक्ष सह पुलिस इंस्पेक्टर संजय कुमार सिन्हा को दो दिनों की साधारण कारावास की सजा सुनाई. रोहतास व्यवहार न्यायालय के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी निवेदिता कुमारी की अदालत ने ने 18 साल पुराने परिवाद से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए नगर थानाध्यक्ष संजय कुमार सिन्हा को दो दिनों की साधारण कारावास की सजा सुनाई है.

उक्त मामला परिवाद संख्या 1018/2005 से जुड़ा है. इस मामले में दो अभियुक्तों महावीर स्थान कुराइच निवासी संजय कुमार श्रीवास्तव और भरत प्रसाद श्रीवास्तव की मृत्यु से संबंधित रिपोर्ट न्यायालय में देने का आदेश दिया था. जिसको लेकर पूर्व में कोर्ट ने नगर थानाध्यक्ष के खिलाफ 5 हजार रुपए स्थगन हर्जाना भी लगाया था. जिसके बाद भी नगर थानाध्यक्ष से लगातार कानूनी आदेशों की अवहेलना की जा रही थी. इसके बाद कोर्ट ने आज सख्ती दिखाते हुए भारतीय दंड विधान की धारा 175 के तहत नगर थानाध्यक्ष को दो दिन कारावास की सजा सुनाई है.

साथ ही नगर थानाध्यक्ष के विरुद्ध गैर जमानतीय वारंट जारी करने का आदेश दिया है. एसपी को हर हाल में 19 जून से पहले वारंट का तमिला कराने का आदेश दिया है. ताकि दो दिन की सजा नगर थानाध्यक्ष भुगत सकें. वहीं कोर्ट ने मामले में एसपी को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि कोर्ट के आदेश के अनुपालन में नगर थानाध्यक्ष के वेतन से पांच हजार रुपए की कटौती कर अब तक आपके द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकार में क्यों नहीं जमा कराया गया. इस संबंध में प्रतिवेदन भी नहीं दिया गया. इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करें.

इसके अलावा अदालत के आदेश की अवहेलना करने पर अपर जिला जज मनोज कुमार की अदालत ने नगर थाना के दारोगा को न्यायालय में सदेह उपस्थित होकर जवाब देने को कहा है. कोर्ट का कहना था कि सासाराम नगर थाना कांड संख्या 925/2022 को नगर थानाध्यक्ष द्वारा अनुसंधान का भार दारोगा गौतम कुमार को सौंपा गया था. मामले में मुनी लाल समेत चार आरोपितों की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए सात नवंबर 2022 को ही केस डायरी की मांग की गई थी. इसके बाद अद्यतन केस डायरी के लिए कई बार पत्राचार किया गया, लेकिन अनुसंधानकर्ता द्वारा आदेश का अनुपालन नहीं किया गया. जबकि उच्च न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत पर सुनवाई के लिए छह सप्ताह का अधिकतम समय निर्धारित किया गया है.

कोर्ट का कहना था कि वर्तमान मामला छह माह से ज्यादा समय से लंबित है. ऐसे में प्रथम दृष्टया उच्च न्यायालय पटना के आदेश की अवहेलना है. इसके जिम्मेवार संबंधित अनुसंधानकर्ता जिसने अपने कर्तव्य पालन में चूक की है, उनके अगले आदेश तक वेतन बंद किया जाता है. न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करने के संबंध में कारण पृच्छा जारी किया जाता है. अगली तिथि को कर्तव्य में चूक का सदेह उपस्थित होकर कारण बताएं. साथ ही अद्यतन केस डायरी अगली तारीख से पहले प्रस्तुत अन्यथा अनुसंधानकर्ता के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट ने एसपी को पत्र जारी कर अनुसंधानकर्ता का वेतन बंद कर न्यायालय को सूचित करने को कहा है.

इसके अलावे कोर्ट ने बिक्रमगंज थानाध्यक्ष के वेतन निकासी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश जारी किया है. जिला व्यवहार न्यायालय के एडीजे चतुर्थ मनोज कुमार की अदालत ने अग्रिम जमानत से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया है. उक्त मामला बिक्रमगंज थाना कांड संख्या 486/2022 से जुड़ा है. इस मामले में अभियुक्त द्वारा अग्रिम जमानत दाखिल की गई है. इसमें कोर्ट द्वारा लंबे समय से वाद दैनिकी की मांग की जा रही थी. पूर्व में उक्त थानाध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस भी जारी हुआ था.

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