बीपीएससी 65वीं के स्टेट टॉपर रोहतास के गौरव सिंह की कामयाबी की कहानी, उन्हीं की जुबानी

कहा गया है कि मंजिल कठिन अवश्य है, लेकिन कामयाब होना भी तय है. इसे सच साबित किया है रोहतास जिले के शिवसागर प्रखंड के चमरहां गांव स्थित कन्या उत्क्रमित विद्यालय में पदस्थापित शिक्षिका शशि सिंह के पुत्र गौरव सिंह ने. बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित 65 वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में गौरव स्टेट टॉपर बने हैं. इसके पूर्व 64 वीं में बीपीएससी में उनका रैंक 142 था और सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा के पद पर चयनित हुए थे. गौरव उत्तर प्रदेश सरकार में सहायक नियोजन पदाधिकारी के पद पर भी चयनित हुए थे. पिछले छह माह के अंदर लगातार दूसरी बार बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफल होने वाले गौरव ने यह साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी विरासत की मोहताज नहीं है.

गौरव ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां और चमरहा गांव स्थित ननिहाल के लोगों को दिया. उन्होंने कहा कि पिता की मौत के बाद मां ने ही घर को संभाला और बच्चों को पढ़ाया. पिता मनोज कुमार सिंह एयरफोर्स में थे. पिता की धुंधली यादें ही साथ में हैं, क्योंकि उनका काफी पहले देहांत हो गया था. मां शशि देवी उत्क्रमित मध्य विद्यालय मे पंचायत शिक्षिका हैं. उन्होंने कहा कि ननिहाल के लोगों ने हमेशा उन्हें उत्साहित करते रहे है. बताते हैं कि यह सफलता उनका अंतिम पड़ाव नहीं है, अभी अंतिम लक्ष्य और आगे है. गौरव बताते है कि प्राथमिक शिक्षा गांव के हीं प्राथमिक विद्यालय में हुआ. दसवीं व बारहवीं तक की पढाई सेंट्रल हिंदू स्कूल वाराणसी से हुई है. उसके बाद कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलाजी भुवनेश्वर से मैकेनिकल में बीटेक की डिग्री ली.

गौरव ने कहा कि सफलता की उम्‍मीद तो थी, लेकिन टॉपर बनेंगे, ऐसा नहीं कभी सोचा था. उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही सिविल सर्विस की ओर जाने का फैसला कर लिया था. डिग्री पूरी होने के बाद कुछ दिनों तक पुणे में जॉब किया. इसके बाद जॉब छोड़कर सिविल सर्विस की तैयारी करने लगा. ऑप्शनल विषय भूगोल रखा. तीसरी बार में नंबर वन रैंक मिला है. वहीं साल 2001 से बेटे की अकेले कमाकर परवर‍िश कर रही गौरव सिंह की मां शशि सिंह की खुशी का ठिकाना नहीं है. उन्होंने कहा कि मेरा बच्चा शुरू से ही स्ट्रगल करके आगे बढ़ा है, अब हमें लग रहा है कि मेरा बेटा यूपीएससी का भी परीक्षा देगा तो उसमें भी अच्छा करेगा.

गौरव ने बताया कि उनका इंटरव्यू लगभग 25 मिनट चला था. शुरू के तीन सवालों का वह जवाब भी नहीं दे पाए थे. लेकिन, वे घबराए नहीं और आत्मविश्वास के साथ इसे स्वीकार कर लिया. हालांकि, बाद के सभी प्रश्नों का संतुलित उत्तर दिया. इंटरव्यू खत्म होने के बाद लगा कि सब कुछ अच्छा हुआ है. परिणाम भी अच्छा ही होगा. उन्होंने बताया कि पूरे इंटरव्यू के दौरान अफगानिस्तान पर कई प्रश्न पूछे गए थे.

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