करगहर प्रखंड में 1947 में शुरू हुई थी रामलीला, आज भी पहुंचते हैं हजारों दर्शक

15अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो स्वतंत्रता का जश्न गांव-गांव मना। रोहतास जिला के करगहर प्रखंड के सीढ़ी गांव में भी जश्न के क्रम में कुछ नौजवानों ने उस साल रामलीला के मंचन का निर्णय किया। आजादी के साल मंचित रामलीला कब वहां परंपरा में बदल गई, इसका पता गांव वालों को भी नहीं चला। आज 70 साल बाद भी रामलीला का मंचन जारी है, गांव के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी उसमें अभिनय कर रहे हैं। प्रवासी गांववासी भी रामलीला के समय अपने गांव लौटना नहीं भूलते।

रामलीला की शुरूआत गांव के कुछ उत्साही युवा राम सुरेश राय, शिवपूजन राय, बैद्यनाथ राय द्वारा शुरू की गई थी। अभिनय से ले व्यवस्था तक यही देखते थे। अब सब दिवंगत हो चुके हैं, अब इनकी चौथी-पांचवीं पीढ़ी रामलीला की व्यवस्था देख रहे हैं। शुरू से हीं सीढ़ी गांव में प्रोफेशनल रामलीला मंडली को नहीं बुलाया गया। बल्कि गांव के लोगों द्वारा ही रामायण के विभिन्न पात्रों का अभिनय किया जाता रहा है। कई परिवारों में तो पीढ़ी दर पीढ़ी लोग रामलीला के विभिन्न पात्रों को अभिनीत करते रहे हैं। कई लोगों ने वर्षों तक रामलीला में एक पात्र को जिया, जिससे वही पात्र उनकी पहचान बन गए। गत वर्ष दिवंगत हुए गांववासी बुजुर्ग धीरजा राय कई सालों तक दशरथ का पात्र अभिनीत करते रहे हैं। गत वर्ष भी सौ साल की उम्र वे अंतिम बार मंच पर उतरे। इस बार भी राम-लक्ष्मण की भूमिका सहोदर भाई हीं कर रहे हैं, और तो और सबसे छोटा भाई हीं सीता की भूमिका कर रहा है। इनके पिता भी विश्वामित्र की भूमिका में हैं। नई पीढ़ी में पिंकू सिंह, अशोक सिंह गोपाल, प्रेमतोष सिंह बंटी, मुकेश, प्रदुम्मन सिंह, राजेंद्र खरवार, मुंशी साह, आलोक विशाल,अमित, अभिषेक, बिट्टू शर्मा अभिनय से ले व्यवस्था तक देख रहे हैं।
गांव से रिश्ता जोड़ती है रामलीला:
गांव से नौकरी-व्यवसाय के लिए बाहर गए लोग भी दशहरा में रामलीला देखने गांव जरूर लौटते हैं। एक पखवाड़े तक चलने वाले रामलीला में ना सिर्फ भाग लेते हैं बल्कि मंचन के लिए आर्थिक सहयोग भी देते हैं। बेल्जियम में रह रहे मौसम वैज्ञानिक उमेश प्रतिवर्ष रामलीला के समय गांव लौटते हैं, अमरकंटक विश्वविद्यालय में प्रवक्ता आशुतोष गांव लौटना नहीं भूलते। बाहर पढ़ाई कर रहे गांव के युवक भी लौट रामलीला में अभिनय करते हैं, बल्कि व्यवस्था में भी मुस्तैद रहते हैं।
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Source- दैनिक भास्कर
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