सन 1967 में रोहतास जिले जनता उच्च विद्यालय तेनुअज से पहली बार 7 छात्र बिहार बोर्ड 11वीं की माध्यमिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी से पास हुए थे. उस वक्त कुल 40 छात्र परीक्षा में शामिल हुए थे. उनमें से चार छात्रों को बिहार सरकार की ओर से छात्रवृत्ति की घोषणा हुई थी. यह छात्रवृत्ति नेतरहाट विद्यालय को छोड़ कर पूरे बिहार के किसी अन्य विद्यालय को मिलने वाली पहली छात्रवृत्ति थी. जिसके बदौलत आगे चल कर चार छात्रों में से एक छात्र भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चुना गया तो दूसरा छात्र भारतीय पुलिस सेवा के लिए सलेक्ट हुआ. ये दोनों होनहार छात्र उस विद्यालय के प्रधानाध्यापक रहे चंद्रशेखर उपाध्याय के पुत्र अरुण उपाध्याय एवं पौत्र अनिल कुमार उपाध्याय थे. जिनमे से अनिल कुमार उपाध्याय 1975 बैच के आईएएस बने. जो राष्ट्रपति के पर्सनल सचिव बने और बाद में राष्ट्रीय उच्च पथ मार्ग भारत सरकार सचिव के पद से अवकाश प्राप्त हुए. दूसरे अरुण उपाध्याय 1976 बैच में आईपीएस के लिए चुने गये. जो संस्कृत के प्रकांड विद्वान है जिनकी कई रचनाएं लोग बड़ी श्रद्धा से पढ़ते हैं.
हे गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो सैया से कर द मिलनवा की हाय राम, यह गीत उस वक्त काफी प्रचलन में था. इसी गीत की पैरोडी पर आधारित एक गीत जनता उच्च विद्यालय तेनुअज के छात्रों की जुबां से नटवार के बाजार में गूंजती थी. जिसका बोल था, हे मास्टर साहेब तोह के मुठिया चढ़इबो, सेन्ट-अप से कर दे मिलनवा की हाय राम. यह गीत तब के गुरु शिष्य के रिश्ते की भाषा समझने के लिए काफी है. इस गीत को याद करते हुए रिटायर्ड आईएएस अनिल उपाध्याय एवं रिटायर्ड आईपीएस अरुण उपाध्याय कहते है कि स्वयं के परिश्रम से विद्यालय भवन का निर्माण कर पढ़ने का एक विचित्र आनन्द, आत्मविश्वास एवं श्रद्धा थी.
विद्यालय की स्थापना सन 1953 में तेनुअज निवासी हलिवन्त राय द्वारा दिये गए जमीन पर हुई थी. वे विद्यालय में जान फूंकने की कोशिश के तहत नटवार से 70 किलोमीटर दूर भोजपुर के बड़हरा थाना अंतर्गत पैगा गांव निवासी रिटायर्ड प्रधानाध्यापक चंद्रशेखर उपाध्याय के पास पहुँचे और उन्हें जनता उच्च विद्यालय का प्रधानाध्यापक नियुक्त किया. 1962 में उनके आने तक मात्र 2 कमरें में हीं विद्यालय चलता था. तब प्रधानाध्यापक चंद्रशेखर उपाध्याय के अनुरोध पर छात्रों द्वारा निकट के गांवों में (मुठिया)चंदा मांगने की शुरुआत हुई. साथ ही यह भी निर्णय किया गया कि जिस गांव में किसी का घर ईंट का बनेगा उनसे 100 ईंट मांगा जायेगा. एक छात्र ने तो दो किलोमीटर से टांग कर चार ईंट लाया था. बाद में विद्यालय में हीं ईंट भट्ठा लगाया गया और भूमिदंडता हलिवन्त राय व विधायक रहे लक्ष्मण राय द्वारा सीमेंट का इंतजाम किया जाता था. इस प्रकार सभी कमरों की दीवार पक्के हो गये. साथ हीं 40 छात्रों के लिए छात्रवास भी बनाया गया. पुस्तकालय में 10 हजार से भी अधिक किताबें और उच्च स्तर का प्रयोगशाला विद्यालय की शान थी. विद्यालय के तेज छात्रों में शुमार हम सभी के सहपाठी डॉ रामनाथ राय फुटबॉल के मंजे खिलाड़ी थे. तो राजद नेता रामबचन पांडेय पहलवानी में बेजोड़ थे.
सन 1967 के 11 वीं बोर्ड परीक्षा में जनता उच्च विद्यालय तेनुअज में 40 छात्रों ने परीक्षा में भाग लिया था. जिसमे से सात प्रथम श्रेणी पास हुए. उनमें से चार राष्ट्रीय मेधा छात्रवृत्ति के लिए चयनित हुए जिन्हें 750 रुपया सालाना छात्रवृत्ति मिलती थी. वे छात्र थे अनिल उपाध्याय जो बाद में आईएएस बनें. दुसरे अरुण उपाध्याय जो बाद में आईपीएस बनें. तीसरे थे रामनाथ राय जो बाद में डॉक्टर बनें. चौथे थे महाराज सिंह जो बाद में प्रोफेसर बनें. वहीं अन्य टॉप छात्रों में उमेश कुमार श्रीवास्तव जो बाद में डॉक्टर बनें, बबन पांडेय जो बाद में बैंक मैनेजर बनें. राजदेव राय जो बाद में बोकारो स्टील प्लांट में बड़े अधिकारी बनें. विद्यालय की ओर से फुटबॉल के दमदार खिलाड़ी रहे डॉ रामनाथ राय ने पटना के गांधी मैदान में 100 मीटर दौड़ का गोल्ड मेडल भी जीता तो राजद नेता रामबचन पांडेय ने पहलवानी में अपना खास मुकाम बनाया. बिहार के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी भी इसी विद्यालय से मैट्रिक की पढ़ाई किये.
आज इसी जनता उच्च विद्यालय तेनुअज का छात्र हिमांशु राज बिहार मैट्रिक टॉपर आया है. इस विद्यालय में जीव विज्ञान, भौतिकी, रसायन शास्त्र व संस्कृत के शिक्षक ही नहीं है. फिर भी हिमांशु ने इन विषयों में 96 व 97 नंबर पाये हैं. हिमांशु इन विषयों की तैयारी के लिए अपनी मेहनत एवं सीनियरों की मदद से करता था. आज लगभग सभी पंचायतों में हाई स्कूल है. इसके बावजूद इस स्कूल में 1159 छात्र-छात्राएं नामांकित है. स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक उपेंद्र नारायण सिंह के मुताबिक स्कूल में कुल 17 शिक्षकों का पद है, जिसमें 13 ही कार्यरत है. स्कूल में विज्ञान के शिक्षक नहीं है, इसलिए विज्ञान की पढ़ाई गणित के शिक्षक संजय कुमार एवं अजय कुमार के जिम्मे है. उसी प्रकार हिंदी की शिक्षिका निर्मला देवी संस्कृत भी पढ़ाती है. कहने को तो यहां 16 कमरे हैं पर नौ कमरे ही काम के है. इन नौ कमरों में एक पुस्तकालय है, जिसमें करीब 13 सौ पुस्तकें है, दूसरे कमरे में संगीत की शिक्षा होती है. इसके शिक्षक ओम केश्वर चौबे के कुशल नेतृत्व में स्कूल को जिला स्तरीय संगीत का अवार्ड मिला था. तीसरे कमरे में स्मार्ट क्लास, चौथे में विज्ञान प्रयोगशाला व पांचवां कमरा शिक्षक विहीन कंप्यूटर से सुसज्जित है.
रिपोर्ट- संतोष चंद्रकांत