बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने की मांग, कहा सम्राट अशोक के लघु शिलालेख को अतिक्रमण मुक्त कराए सरकार, वरना ‘रोहतास चलो’ कार्यक्रम की होगी शुरुआत

सासाराम के चंदन पहाड़ी पर स्थित सम्राट अशोक के शिलालेख पर अवैध कब्जा कर मजार बनाने के मामले में बिहार में सियासत तेज है. मामले में अब बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और वर्तमान में बीजेपी के राज्य सभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर रोहतास जिले के चंदन पहाड़ी पर सम्राट अशोक के 2300 वर्ष पुराने शिलालेख को अवैध कब्जा से जल्द मुक्त कराने की मांग की है. उन्होंने बिहार सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो अशोक के वंशजों को शिलालेख मुक्त कराने के लिए ‘रोहतास चलो’ का कार्यक्रम घोषित करना पड़ सकता है.

सुशील मोदी ने कहा कि 1917 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे संरक्षित स्थल घोषित किया था. लेकिन 2005 में इसे अतिक्रमण कर गुफा के दरवाजे पर ताला लगा दिया गया. फिर इसे एक समुदाय विशेष ने पूजा स्थल में परिवर्तित कर दिया. उन्होंने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 2005 के बाद बिहार सरकार को दर्जनों पत्र लिखें, लेकिन इसे अतिक्रमण से मुक्त नहीं किया जा सका. उन्होंने कहा कि बिहार में 2005 से गृह विभाग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जिम्मे है, लेकिन उन्होंने कभी इसे अतिक्रमण मुक्त कराने का प्रयास नहीं किया.

उन्होंने कहा कि बिहार में बीजेपी ने सम्राट अशोक की जयंती मनाना शुरू किया था और बीजेपी के दबाव में ही सरकार ने सम्राट अशोक जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था. उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे प्रकरण को हिंदू-मुस्लिम की दृष्टि से देखना उचित नहीं होगा. देश की विरासत पर अतिक्रमण किसी भी धर्मावलंबी के द्वारा हो, उसे मुक्त कराना सरकार का दायित्व है.

मामले में राजद के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने सुशील मोदी को बेचैन आत्मा करार दिया है. उन्होंने कहा कि अगर सुशील मोदी रोज कुछ नहीं बोलें तो इनको अपच की बीमारी हो जाती है. उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार तेजस्वी को सत्ता सौंपेंगे या नहीं, इसकी चिंता में भी सुशील मोदी को दुबले होने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि लगभग 50 साल पहले बिहार आंदोलन से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले सुशील मोदी आज अपनी राजनीति की ढलान पर है.

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