संतान की लंबी आयु के लिए जिउतिया व्रत करेंगी माताएं, कल है नहाए-खाए

जिउतिया व जीवित्पुत्रिका व्रत इस बार 10 सितंबर यानी गुरुवार को पड़ रहा है. यह व्रत संतान की मंगलकामना के लिए किया जाता है. इस व्रत को माताएं रखती हैं. जिउतिया का व्रत निर्जला किया जाता है. जिसमें पूरे दिन और रात को पानी भी नहीं पीया जाता है. इस अनुष्ठान को दो दिन तक मनाया जाता है. जिउतिया बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाए जाने वाला एक लोकप्रिय पर्व है. वहीं, नेपाल में जीवित्पुत्रिका व्रत, जितिया उपवास के रूप में लोकप्रिय है.

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ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि माताएं अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए जीउतिया के व्रत का नहाय-खाय बुधवार को करेंगी. बुधवार की रात्रि 9:53 बजे से ही व्रत शुरू हो जाएगा. गुरुवार को पूरे दिन और रात महिलाएं बगैर भोजन और जल ग्रहण किये रहेंगी. शुक्रवार को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण होगा. गुरुवार को मृगशिरा नक्षत्र में व्रत किया जाएगा.

नोनी का साग

सप्तमी के दिन नहाय-खाय का नियम होता है. बिल्कुल छठ की तरह ही जिउतिया में नहाय खाय होता है. इस दिन महिलाएं सुबह-सुबह उठकर गंगा स्नान करती हैं और पूजा करती हैं. अगर आपके आसपास गंगा नहीं हैं तो आप सामान्य स्नान कर भी पूजा का संकल्प ले सकती हैं. नहाय खाय के दिन सिर्फ एक बार ही भोजन करना होता है. इस दिन सात्विक भोजन किया जाता है. जिसमें मडुआ के आटे से बनाई गई रोटी, नोनी का साग, कंदा, झिगनी, करमी आदि रहता है. पंडित राकेश झा ने बताया कि जीमूतवाहन की कथा सबसे पहले भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी. कथा में चील और सियारिन द्वारा व्रत को करने का वर्णन है.

जिउतिया के व्रत को लेकर मंगलवार को बाजार में चहल-पहल रही. पूजन सामग्री के साथ सब्जी और अन्य सामान की खरीदारी के लिए दुकानों पर भीड़ उमड़ी. इस मौके पर महिलाओं ने त्योहार में उपयोग होने वाली सब्जियों में झिगनी, नोनिया साग के साथ मड़ुआ आटा और अन्य परंपरागत सामग्री की खरीदारी की. इन सभी चीजों की कीमत आम दिनों की अपेक्षा दोगुना तक बढ़ी रही.

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