रोहतास के जीएनएसयू में आयोजित राष्ट्रीय महाधिवेशन में पहुंचे केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा – 200 एजुकेशनल टीवी चैनल जल्द होंगे शुरू, भारत की पारंपरिक मूल्यों का कायल है विश्व

भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के तत्वाधान में 12वां महाधिवेशन एवं तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन रोहतास जिले के जमुहार स्थित गोपाल नारायणसिंह विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित किया जा रहा है. संगोष्ठी के दूसरे दिन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में भारत के शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान मुख्य अतिथि के तौर पर किया. संगोष्ठी में देशभर के बारह सौ इतिहासकर व शिक्षाविदों ने भाग लिया. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने संबोधन में अनुसंधानकर्ता एवं इतिहासकारों से अपील करते हुए कहा कि वैज्ञानिक प्रमाण के आधार पर भारत की आदि संस्कृति एवं सभ्यता के बारे में 21वीं सदी में वैश्विक स्तर पर लोगों को अवगत कराने का कार्य करेंगे और इसमें आप सफल भी होंगे.

उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी यहां का इतिहास और शिक्षा है. अब तक भारत में इतिहास को गलत तरीके से लिखा गया जो अब भारत सरकार पूरी ताकत के साथ नई और सही इतिहास लिखने की ओर प्रयासरत है. इस दिशा में इतिहास अनुसंधान परिषद व अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा बहुत ही सराहनीय कार्य किया जा रहा है. अभी जो 75 पुस्तकें अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा प्रकाशित की गई है. इसको भारत सरकार अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं में अनुवाद कराएगा. जिससे भारत का समग्र इतिहास यहां की संस्कृति और संप्रभुता पूरी दुनिया में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा.

कहा कि प्रजातंत्र भारत के डीएनए में है. उन्होंने उपस्थिति लोगों से अपील किया के प्रधानमंत्री का यह सपना है के इतिहास संस्कृति यहां के रहन-सहन में उपनिवेश कि जो छाप है उसे खत्म किया जाना चाहिए. भारत सरकार इस दिशा में अग्रसर है. उन्होंने नौजवान और भावी इतिहासकारों से अपील किया कि भारत के इतिहास को लिखने के लिए भारतीय परंपरा और चेतना के अनुसार उदाहरण इकट्ठा करने में भारत सरकार की मदद करें. इसकी अलावा शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत सरकार बहुत ही जल्द पूरे देश में 200 से ज्यादा एजुकेशनल टीवी चैनल शुरू करने जा रही है, जिससे शिक्षा आसानी से लोगों तक पहुंच सके.

संगोष्ठी में सारस्वत अतिथि के रूप में नव नालांदा महावीर विश्वविद्यालय नालंदा के कुलपति प्रोफेसर श्री वेधनाथ लाभ ने अपने संबोधन में कहा कि के भारत का इतिहास और यहां का धरोहर विश्व धरोहर का केंद्र बिंदु रहा है. भारत एक राष्ट्र के रूप में हमेशा मौजूद रहा. भारत अपने मूल्यों के वजह से ही पूरी दुनिया में विश्व विख्यात रहा. इस दिशा में भारतीय इतिहास और संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना प्रयासरत है. उन्होंने आशा व्यक्त किया कि हम भारत के समग्र और सही विकास इतिहास को जल्द ही पूरी दुनिया के सामने लाने में कामयाब होंगे.

संगोष्ठी में दूसरे सारस्वत अतिथि के रूप में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत्याप्राकाश बंसल ने कहा कि भारत में शिक्षा का विस्तार तो हुआ पर विकास नहीं हुआ. भारत सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति इस दिशा में कार्य करेगी. जिससे शिक्षा का सही मायने में विकास संभव हो सकेगा. इससे पहले जो भी शिक्षा नीति भारत सरकार द्वारा लगाई गई वह सिर्फ पुरानी शिक्षा नीतियों का रफू करने का कार्य करती थी इस बार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लाई गई नई शिक्षा नीति असल मायने में शिक्षा तंत्र को मजबूत करने में और भारतीय संस्कृति समाज और चेतना के अनुरूप करने में सफल होगी. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति आने वाले 25 वर्षों के लिए भारत के युवाओं के लिए एक प्लेटफार्म का कार्य करेगी. कार्यक्रम के दूसरे दिन संगोष्ठी की अध्यक्षता गोपाल नारायण विश्वविद्यालय के कुलपति गोपाल नारायण सिंह ने किया.

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